Thought of the day
परम पूज्य श्री महाराजश्री के मुखारविंद से
राम मंत्र, राम नाम का प्रताप
राम अर्थात् जिसमें सब रमते हैं , जो सब में रमता है, तथा जो कण-कण में व्याप्त है। भगवान शिव जिसका सतत् स्मरण करते हुए, समाधिष्ठ रहते हैं वह राम । जो सूर्य को प्रकाश देता है, जो चन्द्रमा को ज्योत्सना प्रदान करता है, जो हम सब को जीवन देता है, जिसके बिना हम शव हैं वह राम। उसी राम के नाम की , हम उपासना करते हैं ।
राम ही हमारा मंत्र है। स्वामीजी महाराज ने इस मंत्र को छुपाया नहीं । सबसे डट के कहिएगा ” हम राम राम जपते हैं “।एक मंत्र जिसे ग़रीब भी जप सकता है, अनपढ़ भी जप सकता है, विद्वान भी जप सकता है , शराबी भी जप सकता है, माँस खाने वाला भी जप सकता है, पापी भी जप सकता है और एक पुण्यात्मा भी जप सकता है। महिला भी जप सकती है, पुरुष भी । बालक भी जप सकता है और वृद्ध भी ।नीची – ऊँची जाति वाले सब जप सकते हैं । देशी भी जपे और विदेशी भी । व्यापारी भी जप सकता है, मज़दूर भी, किसान भी एवं कर्मचारी भी ।घर की नौकर भी और मालिक भी ।हर समय जपा जा सकता है राम नाम ।हर जगह जपा जा सकता है , काम काज करते भी जपा जा सकता है यह नाम ।
आप सोचोगे , अब हमने राम नाम ले लिया है, नाम जपना शुरू कर दिया है, अब हमारे ऊपर कोई रोग नहीं आएगा , घर में कोई दुर्घटना नहीं घटेगी । ऐसा आश्वासन मैं बिल्कुल नहीं देता। यह तो सब होता रहेगा । कल को आप कहो, हम नाम भी जपते हैं और हमें व्यापार में घाटा भी पड़ रहा है। यह तो प्रारब्ध के खेल हैं । परमात्मा का अकाट्य सिद्धान्त है, जो बोया है उसे काटना पड़ेगा ।
राम नाम आपको बलवान बनाता है। हमारे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है तब भी हमारे मुख से, राम नाम न छूटे । यह राम नाम का प्रताप है ।