March 30

March 30, 2016

Thought of the day

परम पूज्य परम श्रध्य श्री डॉ विश्वामित्र जी महाराज श्री

आत्म बोध

किसी से राग नहीं किसी से द्वेष नहीं
आत्मा निर्लेप इसे कोई भी कलेश नहीं
आत्मा आनंद इसे कोई भी कलेश नहीं

आत्मदर्शन यानि आत्म का बोध, आत्मा का ज्ञान । आत्मा निर्लेप है , कलेश देह को है ।यह हम पर निर्भर करता है, कि हम अपने आपको कलेश वाली देह मानते हैं या कलेश रहित आत्मा ।जो अपने आप को देह मानते हैं उनको रोग भी होता है, कलेश भी होता है, दुख भी होता है ।जो अपने आप को आत्मा मानते हैं उनको कुछ नहीं होता , शरीर को दुख होता है आत्मा को नहीं ।समस्याएं देह को हैं आत्मा को नहीं ।सम्बंध शरीर के हैं, आत्मा के नहीं । आत्मा के नाते हम सब एक हैं । ऐसी धारणा बहुत उच्च ले जाती है ।
जब तक आत्म भाव स्थित नहीं होगा, आप लाखों जाप कर लीजिएगा आपको शांति की प्राप्ति नहीं होगी।

महर्षि रमण – who am i।जिनका सारा दर्शन इसी एक प्रश्न पर केंद्रित है ।जो यह जान गया कि मैं कौन हूं उसका जीवन सार्थक हो गया ।आदि शंकराचार्य से किसी ने पूछा कि आपको परमात्मा हर समय दिखता है, मुझे क्यों नहीं दिखता ? तो उनेहोंने उत्तर दिया कि इसलिए कि कभी तूने अपने आप को नहीं देखा ।मोरारजी देसाई ने बहुत उच्च बात रमण महर्षि के लिए कही कि ‘मैं collector से लेकर प्रधानमंत्री के पद तक गया पर जो शांति मुझे रमण महर्षि के समक्ष बैठ कर मिली वह कहीं नहीं मिली ।’ क्यों न हो ,जो आत्मा मे स्थित व्यक्ति होगा वह शांति का स्रोत बन जाता है ।वे संत आत्मा में स्थित थे ।

यदि ये कहा जाए कि आत्मसाक्षात्कार व परमात्मसाक्षात्कार एक ही हैं क्यों, क्योंकि वह परमात्मा ही हमारे अंदर आत्मा बनकर विराजमान है।
आज रमण महर्षि kitchen में चले गए सेवा करने के लिए । वहां केकिसी अनुयायी ने उनका हाथ पकड़ा और कहा कि क्या अभी आप कहते हो कि मैं कुछ नहीं कर रहा। आप कहते हो कि मैं कुछ नहीं करता, क्या अभी भी यह सत्य है । रमण महर्षि ने आंख बंद की और खोली और फिर बोले ‘ भाई मैं कितना भी समझाऊं यह मन मानता ही नही ं।मन इतना सूक्ष्म हो गया है कि मानता ही नहीं मैं कुछ कर रहा हूं । यह हाथ सब्ज़ी काट रहा है , मैं नहीं ।’
कौन करने वाला है , शरीर, न कि मैं, आत्मा । शरीर से ही सब संबंध जुड़ते हैं । तभी तो कभी अपना रोग, कभी पुत्र का रोग तो कभी पौत्र का रोग परेशान करता है ।आत्मा के साथ किसी भी तरह का संबंध नहीं है ।शरीर यदि परमात्मा से connected है तो tuned है , परमात्मा से disconnected है तो tuned नहीं है।connected है तो आत्म भाव में स्थित है disconnected है तो देह भाव में स्थित है ।मन को कैसे मौन करना है, यह यहां आकर सीखना है, क्योंकि मौन में ही केवल परमात्मा से जुड़ सकेगे।हम disconnected तो रहते ही हैं , यदि यहाँ आकर भी disconnected ही रहे तो आने का तो कोई लाभ न हुआ !

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