रक्षा बंधन पर बहुत बहुत बधाई व शुभ कामनाएँ 

अगस्त १८, २०१६


रक्षा बंधन के पावन अवसर पर सभी को बहुत बहुत बधाई व शुभ व मंगल कामनाएँ । 

परम पूज्य महाराजश्री कह रहे हैं कि परमेश्वर के बिना क्या हमारा जीवन सार्थक हो सकता है क्या? 

आज गुरूजन इस पंक्ति पर चिन्तन करवा रहे हैं । हम अपने आस पास देखते हैं कितने हमें धार्मिक लोग मिलते हैं कितने ऐसे जो मानते हैं परमेश्वर को पर करते कुछ नहीं और कई ऐसे जिन्हें परमेश्वर से कुछ लेना देना नहीं ! पर सब जी रहे हैं। सबका पालन पोषण हो रहा है । हँसते हैं, रोते हैं, काम करते हैं सभी ! कब स्मरण हो आते हैं परमेश्वर ? घर में अचानक रोग आ गया ! हँसती हुई ज़िन्दगी में उदासी छा गई ! नौकरी चले गई !! कारोबार में नुक़सान हो गया ! प्रियजन की मृत्यु हो गई !!! यह साधारण जीवन की लीला है जहाँ परमेश्वर हर एक को स्मरण हो आते हैं !! और यह दुख यह वेदना लम्बी चलती है कई बार सारी उम्र चलती है !! 

पर जब जीवन में संत आ जाएँ , जब जीवन में परमेश्वर के प्यारों का आगमन हो जाए , तो रोग में भी कोई राम का प्यारा मुस्कुराता हुआ मिलता है। नौकरी जाने पर भी राम के प्यारे कि चाल वही मस्त रहती है! कारोबार में क्षति होने पर भी साधना जारी रहती है, पुत्र की मृत्यु होने पर भी सत्संग में जाया जाता है !!! कैसे ?? 

क्या अंतर है दोनों में !! एक में परमेश्वर को गौण मानना और दूसरे में परमेश्वर को प्रमुखता देनी ! पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि क्योंकि परमेश्वर को जीवन में प्रमुखता नहीं दी इसलिए जीवन अशांत, दुखी व तनाव ग्रस्त बन जाता है ! क्यों

क्योंकि शान्ति व प्रेम व आनन्द का स्रोत तो परम प्यारे प्रभु ही हैं ! राम ही हैं ! क्या मतलब है परमेश्वर को प्रमुखता देना? मेरा राम ही मेरा है ! मेरा राम ही मेरा सर्वस्व है! मेरा राम ही मेरा रक्षक है ! मैं राम की व राम मेरे ! फिर ऐसे में क्या होता है ? ऐसे में हम सबसे पहले राम को रखते हैं ! हर कार्य राम के लिए करते हैं ! तो जब विपदा आती है , राम के कार्य चलते जाते हैं वे गौण नहीं बनते! हमारी दिन चर्या बेशक बदल जाए पर राम के कार्य तो सदा प्रमुख रहते हैं !! 

क्या होता है राम को प्रमुखता देकर? जीवन आदनन्दमय बना रहता है, जीवन में मीठी मीठी वह प्रेम कि मुस्कान बनी रहती है!शान्ति यदि थोडी डांवांडोल भी हो जाए, वापिस लहर बनी रहती है !  राम देखता है संसार को, राम सम्भालता है संसार को !! संसार के रोग,कारोबार, मानापमान, मृत्यु से भय नहीं लगता ! अपितु राम की शक्ति बिन माँगे मिलती है ! 

मेरी आज की सीख 

हम गृहस्थ साधक हैं । आए दिन कुछ न कुछ लगा रहता है! पर राम व गुरूजन की गोद में यदि खेलने का निर्णय लें तो जो चिन्ताएँ बरसों तक घर करती जो भय अंत समय तक रहता जो दुख व वेदनाओं में मन अशान्त व ग्रसित रहता वह सुई की नोक जितना दर्द देकर समाप्त हो जाता है । यदि पूज्य गुरूजन कहते हैं कि परमेश्वर को प्रमुखता देने से जीवन में शान्त व प्रेम बसेगा तो निश्चित बसेगा !!! 

सभी को शुभ व मंगल कामनाएँ 

सर्व श्री श्री चरणों में 

जय जय राम 

2 thoughts on “रक्षा बंधन पर बहुत बहुत बधाई व शुभ कामनाएँ 

  1. मेरे राम सव॔धार बार – बार नमस्कार
    ( मेरा तूँ मेरा तूँ मेरा तूँ ही तो है राम )
    हर एक शवास करोड़ों बार शुकर ही शुकर हैं ।
    आज फिर जीवन की किताब खोली तो पता चला ,,,, की हर पन्ना तेरी ही रहमतों से भरा हैं ,,,,

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