अपना असली घर- श्रीरामशरणम् 

Oct 8, 2016 


परम पूज्य श्री डॉ विश्वामित्रजी महाराजश्री ने कहा- कि पूज्य स्वामीजी ने कितना सुन्दर नाम दिया है श्रीरामशरणम । यह कोई building का नाम नहीं है। यह राम का घर है। श्रीरामशरणम गच्छामि – मैं श्री राम के घर जाता हूँ । श्री राम जो मेरे घर हैं मैं वहाँ जाता हूँ ! 

कितनी उच्च सोच ! कितनी असीम व अनन्त सोच । मात्र building नहीं !! जब कि building तो केवल देह तक सीमित है, गए व आ गए! कोई रह नहीं सकता ! पर असली का श्रीरामशरणम जहाँ से वापिस आना ही नहीं ! Permanent Home !! 

यह मात्र बताया ही नहीं कि हमारा असली घर कौन सा है, नाम भी बताया और वहाँ जाने के लिए संपूर्ण रूप से मार्ग भी प्रशस्त किया !यह भी कहा कि हम असली में कौन हैं !  इंतज़ार करते होंगे वे अपने बच्चों का । माता पिता तो इंतज़ार ही करते रहते जब तक बच्चा घर न लौट आए। संसारी माता पिता सोते नहीं है जब तक बच्चा न घर पहुँच जाए , फिर वे चैन की साँस लेते हैं, यह तो अनश्वर माँ हैं , बाबा हैं !! यह कितने युगों से इंतज़ार कर रहे होंगे ? 

यदि श्री रामशरणम building नहीं , तो कहाँ है यह? जहाँ राम स्थापित हैं ! कहाँ हैं राम विराजमान? दीक्षा के समय क्या हुआ था ? किन्हें हमारे हृदय में स्थापित किया था ? राम को ! पारब्रह्म परमेश्वर श्री राम को ! सो उनका निवास स्थान तो हमारे भीतर हुआ ! 

कैसे जाएँ फिर अपने हृदय में ? क्या मरने के बाद ही जाया जाता हैं यहाँ ? गुरूजन ने राम नाम का जहाज दिया है। वे कहते हैं यह राम नाम जब प्रेम से लिया जाए जब खरबों में अविरल लिया जाए तो भीतर की जन्मों की पर्तों का अनावरण होता है और हमारे घर का रास्ता हमें दिखता जाता है ! देह में रहते , मानव जन्म में ही जा सकते हैं अपने घर ! 

राम नाम के साथ सम्पूर्ण समर्पण कुंजी है अपने घर के ताले की !! सम्पूर्ण सम्पर्ण से तात्पर्य है कि हर पल हर परिस्थिति में हम यह न विस्मरण करें कि हम तो रामांश हैं । देह नहीं, मन नहीं, बुद्धि नहीं .. रामांश ! 

ओ प्यारे गुरूजन आज के पावन अतिमांगलीक शुभावसर पर हम अपने घर , श्रीरामशरणम् , राम के पास जाने की , अपनी माँ की परम गोद में जाने की , देह में रहते हुए जाने की तैयारी करें। यह यात्रा तो केवल गुरूजन की अकारण कृपा से ही सम्भव है। हे माँ रूपी गुरूजन ! ओ बाबा रूपी गुरूजन हम आए शरण आपकी कृपा कीजिए कृपा कीजिए कृपा कीजिए । 

सर्व श्री श्री चरणों में 

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