साधक व स्वार्थ 

Nov 15, 2016


किसी ने प्रश्न किया कि जब सब कुछ मिल रहा होता है तब तो धन्यवाद कम ही करते हैं पर यदि कुछ करने की बारी आई, हल्कि सी तकलीफ़ का समाना करना पड़ा तो सहन नहीं करते ल्कि सही कार्य करने वाले पर दूसरों को दोषारोपण करते हैं ~ यह प्रश्न मोदी जी की भ्रष्टाचार के प्रति निडर अभियान के अंतर्गत पूछा गया ! 
इस पर पूज्यश्री महाराजश्री की वह कथा स्मरण आती है कि कलयुग एक संत के पास आया। कहने लगा तुम राम नाम क्यों फैला रहे हो ? संत कहने लगे – मैं तो राम राज्य में रहता हीं सदा। मुझे तुम्हारा भय नहीं। तुमने जो करना है कर लो। मैं तो राम नाम का प्रचार करता रहूँगा । कलयुग बोला – यह तुम्हें महँगा पड़ेगा । सो अगले दिन एक आदमी आया और बोला बाबा ! आपने जो शराब की बोतलें मंगवाईं थी उसके पैसे नहीं मिले ! संत शान्त रहे। वे जानते थे कि यह कलयुग की चाल है ! अगले दिन जो पूजा करते थे वे थू थू करने लगे। पर संत शान्त रहे। कलयुग बोला – देखा मेरा कमाल! अभी भी मेरा साथ दे दो! अरे कल सारे तुम्हारी वाह वाह करने लगें गे ! संत बोला- वह कैसे? कलयुग बोला – देखना ! 
अगले दिन एक कोड़ी बोला – मुझे बाबा के पास ले जाओ! मुझे भगवान ने सपने में आकर कहा है कि बाबा यदि मुझे हाथ लगाएँगे तो मैं ठीक हो जाऊँगा! ऐसा ही हुआ ! कलियुग बोला – देखा मेरा कमाल!! संत बोले- तुमने मेरे राम का कमाल नहीं देखा? तुमने अपमान दिया, वाह वाह दी, मुझे कुछ न हुआ ! सो तुमने जो करना है कर लो । मैं राम के सहारे राम राज्य में रहता हूँ और राम नाम का प्रचार करता रहूँगा ! 

सो मोदी जी जो कर रहे हैं वे उनका कार्य है , पर एक साधक होने के नाते, यह अवसर, हमारे कर्मों के शुदिंकरण का समय है । सात्विक कर्म अर्जन करने का समय है ! सहन करके बल्कि सेवा में कूदने का समय है । जो रो धो रहे है अपनी कमाई जाने के लिए या कष्ट के लिए, स्मरण रखिए वे सदा ही रोते धोते हैं ! उन्हें अपने स्वार्थ के सिवाय नहीं कुछ दिखता। मेरा पैसा, मेरा कष्ट ! सो स्वार्थ में आदमी सदा बहुत कुछ करता आया है व करता रहेगा! 
पर हम तो साधक हैं । भेद भाव से ऊपर कोशिश करते हैं रहने की । हम सात्विक कमाई , सदाचारी जीवन के अनुयायी हैं । क्योंकि हमारे गुरूजन यह सिखाते हैं। कई बार कइयों के परिवार जन ऐसी कमाई नहीं करते पर हमारे विचार सात्विक होति हैं , सो गुप्त प्रार्थनाएँ करते जाइएगा ! बुरा न मानिए क्यों यह उनकी सोच नहीं है और जरूरी नहीं सात्विक कर्म भी हों । सो सहनशीलता के लिए परिवार, समाज व देश के लिए गुप्त प्रार्थनाएँ गुरूजन भी करते हैं सो हम भी करें ! 
श्री श्री चरणों में

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