नाम की कमाई जमा करनी व लुटाना हमारे ही हाथ में है 

Dec 26, 2016


परम पूज्यश्री महाराजश्री कहते हैं कि खूब कमाई करिएगा और ख़र्चा कम से कम। तभी कमाई जमा हो पाएगी । 

परम पूज्य गुरूदेव यहाँ नाम धन की कमाई कह रहे हैं। सत्कर्मों की कमाई । वह कमाई जो हमें परमेश्वर के और निकट कर दे । वह कमाई जो हमें उसकी गोद तक ले जाए! 

कैसे ख़र्च होती है यह अति बहुमूल्य कमाई ? महाराजश्री कहते हैं हम ही लूट जाते हैं अपनी राम नाम की कमाई को। कामनाओं व इच्छाओं की पूर्ति में यह कम हो जाती है। हमें रोग आया है हमारे प्रियजन को रोग आया है, वह ठीक हो जाए, हम खाली। हमें या हमारे प्रियजन पर प्रतिकूल परिस्थितियाँ आई हैं, हमने स्थिति सुधरने की कामना की और लुट गई कमाई ! हम बल ,शक्ति व धैर्य माँगने की बजाए कामना करते हैं तो राम नाम की कमाई लुटा देते हैं।

 हम क्रोध करते हैं, छल कपट करते हैं, निंदा चुग़ली करते हैं कमाई लुटा देते हैं । चाहे कमाई इस जन्म की हो या पूर्व जन्म की वह सब लुटी जाती है । 

किसी साधक को एक नव युवक मिला। वह १८ वर्ष का था पर नवीं कक्षा में । बात चीत में साधक को पता चला कि वह युवक तो अपनी देह से बाहर भी निकल जाता है जब ध्यान करता है ! उसको क्रोध के दौरे बहुत पड़ते। साधक को कुछ समय पश्चात पता चला कि वह युवक तो पैरोल पर था ! और जब वे उसकी गतिविधियाँ देखते तो वे नकारात्मक दिशा की ओर ही दिख रही होती। वह युवक ऐसे कार्य नहीं करता था जिससे उसका आत्मिक उत्थान हो सके! जब की ज्ञान उसको काफ़ी था ! 

सो पूर्व जन्मों की कमाई भी हम स्वयं ही बढा सकते हैं व स्वयं ही लुटाते हैं । प्रभु अतिशय कृपा करके, गुरूजनों के रूप में मार्गदर्शन नित निरन्तर करते रहते हैं । पर चयन सदा हमने ही करना होता है । चयन गुरूजन हमारे लिए नहीं कर सकते ! 

पूज्य गुरूदेव कहते हैं कि परमेश्वर यदि कभी कहे कि माँगो कुछ तो केवल कृपा माँगिएगा । प्रभु कहें किस चीज की कृपा। तो कहिएगा कि आपका नाम सिमरन में नित निरन्तर रहें इसकी कृपा। आपके  सत्संग में हर पल रहें इसकी कृपा। नर नहीं नारायण समझ कर सेवा करें इसकी कृपा। जीवन में सहनशीलता आए इसकी कृपा। जीवन में संतोष आए इसकी कृपा। जीवन में अहम् की निवृत्ति हो इसकी कृपा। 

कृपा कीजिए प्रभु कृपा 🙏। सारी कमाई गुरूजन की है। सारी मेहनत उनकी है ! सब उनका ! उनकी कमाई धरोहर रहे, अपनी नालायकी के कारण नष्ट न करें, सो कृपा कीजिए भगवन, कृपा कीजिए। 

श्री श्री चरणों में 

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