परमेश्वर आपके लिए बहुत तड़पते हैं 

Dec 28, 2016


परम पूज्य महाराजश्री यह पंक्ति बहुत भाव विभोर हो कर कहते हैं कि साधकजनों आप अंदाज़ा ही नहीं लगा सकते कि परमेश्वर आपके लिए कितना तड़पते हैं । 

इसका तात्पर्य तो साफ है कि प्रभु हम सब से बहुत प्रेम करते हैं। न केवल आप और मुझसे बल्कि प्रकृति की एक एक वस्तु से ! हर के पालन पोषण करने का भार वे स्वयं उठाते हैं । संत गण बिलख बिलख कर व ठोक बजा कर कहते हैं कि वह किसी का अहित करने की सोच ही नहीं सकते । वह परम सुहृद है, वे केवल प्रेम है ! प्रेम के साथ करुणा व कृपा सिंधु है। पर वह गुप्त रह कर यह सब करते है। अपना प्रेम व अपनी कृपा जताते नहीं ! यह उनका स्वभाव है। पर उनके प्रेम की अभिव्यक्ति उनकी कृपा मे दिखती है । 

पर हम उन पीड़ाओं के बारे में क्या कहें? यह पीड़ाएँ मिथ्या तो नहीं ! सच में दर्द व वेदनाएँ होती हैं ! सो यह कैसा प्रेम उसका ? 

संतगण कहते हैं कि एक साधक के जीवन में जब अंधकारमय परिस्थितियाँ आती हैं, तो उन्हें सहर्ष स्वीकार करना चाहिए! क्यों ? क्योंकि परम दयालु, परम सुहृद परमेश्वर इस समय हमारे कर्म धोते हैं। हमारे कर्मों का भार जो हमारी आत्मा पर पड़ा होता है वह उतारते हैं। तभी यह पल सहने चाहिए ताकि पूरे के पूरे कर्म धुल सकें। यदि हम प्रतिक्रिया करते हैं या रोते धोते हैं तो वे नए कर्मों का रूप ले लेते हैं । इसलिए गुरूजन कहते हैं कि परमेश्वर से इन पलों के लिए शक्ति मांगनी चाहिए और नाम जाप और तीव्र कर देना चाहिए, ताकि तारक मंत्र राम हमें अपनी ऊर्जा प्रदान कर सकें। और हम अपने कर्मों के बंधनों से हल्के होकर परमेश्वर के और निकट होते जाएँ । 

परमेश्वर अपने प्रेम के कारण व करुणा के कारण हमारे समक्ष अपने कर्मों रे कारण कष्टमयी दिखने वाली परिस्थितियाँ लाते हैं ताकि हमारे कर्मों के खाते साफ हो सकें। और उनकी जगह अनन्त राम नाम भर सके ! अब अंदर पवित्रता जब बसेगी तो गंदगी कहीं तो निकलेगी न !! सो वह बहुत बार रोग व कष्ट के रूप में बाहर आ जाती है ! 

एक बार एक विदेशी आध्यात्मिक वैज्ञानिक ने सूक्ष्म गुरूतत्वों से पूछा कि क्या कारण था कि उसके २२ माह के बच्चे की मृत्यु हो गई ? उन्होंने बताया कि उनके बच्चे की आत्मा बहुत उच्च आत्मा थी और वह केवल उनके कर्मकाण्ड को समाप्त करवाने ही आई थी ! 

इसलिए संतों के पास नज़र होती है जो बहुत दूर तक देख सकती है पर हमारी नज़र सीमित होती है। इसलिए संतों के वचनों पर पूर्ण रूप से विश्वास करके हमें यह जीवन में उतारना है कि हर परिस्थिति परमेश्वर के प्रेम की अभिव्यक्ति ही है ! 

वह प्रेम अनवरत करते हैं। ऐसा नहीं कि अच्छे काम करने पर ही और बुरे पर नहीं । उनका प्रेम कभी कम नहीं होता! वे तो हम ही होते हैं कि उनका प्रेम महसूस नहीं कर सकते या पहचान नहीं पाते! यहाँ सत्संगति यह मैल धो डालती है और संतों के दिव्य स्पर्श से ही हम परम प्यारे प्रभु के प्रेम को महसूस कर सकते हैं ! 

परमेश्वर सद्बुद्धी बनाएँ रखें । 

सर्व श्री श्री चरणों में 🙏 

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