Jan 10, 2017
परम पूज्य परम श्रेध्य महर्षि डॉ विश्वामित्र जी महाराजश्री ने कहा कि परमात्मा पर विश्वास होना ही भक्ति मार्ग में हर साधक का पुरुषार्थ है ।
पूज्य गुरूदेव ने एक कथा सुनाई –
एक आध्यात्मिक संस्था का अनाथालय है । वहाँ के संचालक को परमेश्वर की कृपा के सिवाय कुछ दिखाई ही नहीं देता। यह परमेश्वर की कृपा का साक्षात प्रमाण है , परमात्मा की कृपा का साक्षात्कार है । अध्यक्ष किसी से माँगता नहीं है। पर परमेश्वर उसकी हर ज़रूरत पूरी करते । यह माँगना परमेश्वर के प्रति अविश्वास है । जो परमात्मा के आश्रित हो जाता है , उसके लिए परमात्मा क्या करता है , यह वही जानता है, जो परमात्मा पर निर्भर होता है। आज मैनेजर आकर कहते हैं कि भण्डार में अन्न का एक दाना नहीं है। भोजन की घण्टी बजने वाली है । अध्यक्ष ने कहा राम इच्छा । मैनेजर साहब को यह सुन कर बहुत अजीब लगा। यह सत्य घटित घटना है । उसी समय बाहर ट्रक रुका है । ड्राइवर के हाथ में चिट्ठी है । वहाँ अध्यक्ष महोदय परमात्मा परमात्मा से कृपा के लिए गिड़गिड़ा रहे थे । चिट्ठी दी गई । चिट्ठी में लिखा था कि मित्र आज घर पर पार्टी का आयोजन था । पर जिसके लिए आयोजन था वे आए नहीं । तो सारा पार्टी कैंसर करनी पडी । कृपया यह भोजन स्वीकार करो। बच्चे तो वहाँ सौ थे पर भोजन २००-२५० लोगों के लिए था । आज जितना बच्चों ने भरपेट भोजन खाया है उतना आज तक नहीं खाया । अध्यक्ष महोदय केवल यही कह पा रहे कि वाह परमात्मा वाह ! तेरी कृपा अथाह है!
बस तेरे आश्रित होने की आवश्यकता है । आश्रित होना ही कठिन है ।
हम भी ऐसा क्यों नहीं करते । संस्था चलाना आसान नहीं ,किन्तु चलाने वाले तो वे पगड़ी वाले बाबा हैं न । यदि हमें कोई संकट है, धन की कमि है तो उस पगड़ी वाले कुबेर से क्यों नहीं कहते । संस्था में आने वाले हर साधक की परिस्थिति एक जैसी नहीं होती। यदि हम साधकों पर संस्था की परेशानियाँ डालेगें तो वे बेचारे तो और धँस जाएंगे ।कइयों की आमदनी इतनी नहीं होती कि कुछ निकल कर आ सके, यह कहना कि दे सकते हैं तो दीजिए.. और बार बार कहते रहना कितनी वेदना पहुँचाता होगा । साधक चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता ।
संस्था में आने वाले साधक को स्वयं राम लाते हैं, स्वयं गुरूजन लाते हैं, उन पर संसारिकता का बोझ बिन समझे डालना, बहुत कष्ट व पीड़ादायक बन जाता है ।
गुरूजनों के पास ही हमें जाना है । संस्था की हर समस्या के लिए। धन हो, साधकों की गिनती हो, या कुछ और। संसार के पास नहीं ! जब कुबेर के पास जाएंगे तो कुबेर जैसी धन राशि मिलेगी, जब संसार के पास जाएंगे तो बार बार कटोरा आगे करना पड़ेगा ।
वे तो जाननहार हैं। हमारे जाने ले पहले उन्हें सब पता होता है। पर यदि उन्हें कह दें कि यह सब आपका है, कृपया आप राह दिखाइए, आप स्वयं इसे चलाइए तो वे संसार के पास कटोरा लेकर जाने से बचा देते हैं ।
जो हर कार्य गुरूजनों के आश्रित होकर करता है, वह संस्था, दफ्तर, दुकान, घर, परिवार, हर कार्य गुरूजनों के आश्रित होकर ही करता है ।
हे राम ! मेरे प्यारे ! हम सब पर कृपा कीजिए। आपश्री की कृपा के बिना, हम आप पर आश्रित नहीं हो सकते !
श्री श्री चरणों में