पारिवारिक तनाव में राम नाम के संग मौन 

Feb 28, 2017


प्रश्न : मेरे घर पर बहुत तनाव है । उसके ऊपर मेरी बिटिया के इम्तिहान । तनाव के कारण वह पढ भी नहीं पा रही । पति कहते हैं चले जाओ दोनों। कहां जाऊं मैं । क्या करूं ? श्री अमृतवाणी जी का पाठ करती थी ,बंद कर दिया कि आप सब ठीक कीजिए , अब तभी करूँगी । 
पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि परमेश्वर से परिस्थितियों को ठीक करने के लिए नहीं कहना बल्कि स्वयं बदल जाएँ , इसकी प्रार्थना अवश्य करनी है । 
पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि इतना राम नाम लें कि कुछ और बोलने की आवश्यकता ही न पड़े । मौन हो जाएँ । जब प्रतिक्रिया नहीं होगी , तो एक तरफ़ा ही रह जाएगा और तनाव जल्दी समाप्त हो जाएगा । बहुत कठिन है पर असम्भव नहीं । 
जब परिस्थितियाँ प्रतिकूल हों तो हमें ज़बरदस्ती नाम जाप बढा देना है ! कम या बंद नहीं करना । जब तक नाम की डोरी पकड़े रखेंगे , तब तक सम्भले रहेंगे । वह छूटनी नहीं चाहिए ।  

जब कोई गलत बोल रहा हो तो मन में लम्बा राााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽम पुकारना है । जब तनाव लगे तो लम्बा रााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽऽम पुकारते जाना है जब तक वह अपना अमृत न बक्शें ! 
बेटियों को यही सिखाना है कि खूब मेहनत करनी है । जैसी मर्जी परिस्थिति हो जैसा मर्जी वातावरण हो, पढ़ना है डट कर, अपने पैरों पर किसी भी हालत में खड़े होना है । 

बच्चे यदि नहीं सुनें तो गुरूजन से प्रार्थना कीजिए कि वे समझा दें ! कृपा करें । 
सो जब बच्चों की परीक्षाएँ हैं , और बाकि जन समझ नहीं रहे, तो राम नाम के संग मौन रहना ही तपस्या है । बहुत बड़ी तपस्या है । एक को अकेले ही बोलने दीजिए । 
परिस्थितियाँ बदलें या न बदले यदि हम बदल जाएँ तो बाहर धूप हो या बादल, हमारा कार्य चलता जाता है । 
खूब राम नाम जपना है ताकि बोलने की आवश्यकता ही न पड़े । राााााााााााओऽऽऽऽऽऽऽम 
सर्व श्री श्री चरणों में 

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