विपरीत परिस्थितियों में साधक की सजगता 

April 1, 2017



परिस्थितियां जब अपने मन के अनुसार न हों तो सचेत क्यों रहना है ? 
गुरूजन कहते हैं क्योंकि यह मन उस समय हमें हमारे प्यारे से दूर कर देता हैं !! 

हम उसके अंशी हैं यह विस्मरण करवा देता हैं ! 

हम उस माँ की गोद व चरणों का रस पान कर रहे होते हैं उन सब से दूर करवा देता हैं! 
अब देखना यह है कि वह दिव्य एकतारता पसंद है या संसारी परिस्थिति जिसने द्वार पर दस्तक दी !!! 
राम को चुनें या मन की उस अपूर्ण इच्छा को ?? 

यह चयन हमें ही करना है !!! 
जितना अधिक हम राम को चुनेंगे उतनी अधिक शान्ति के निकट होंगे , जितना संसार के सुधरने को चुनेंगे उतना अशान्त होते जाएंगे !!! 
चयन अपने हाथ में है !!! 
श्री श्री चरणों में

Leave a comment