श्री रामशरणम् के अनूठे साधक 

May 10, 2017


श्री रामशरणम् के अनूठे साधक 
कुछ दश्क पीछे चलते हैं । एक बहुत ही सामान्य वर्ग के अध्यापक। बच्चों में अत्याधिक लोक प्रिय। जब भी देखो पूर्ण रूप से मुस्कुराता चेहरा । एक सैकन्ड भी मुस्कुराहट बंद नहीं होती ! पर उस मुस्कुराहट के पीछे अनन्त दुख व कष्ट ।पिताजी का सिर पर साया नहीं । भाई इतना कमाता नहीं और भाभी का झगड़ा । पर इन का सौम्य स्वभाव । स्कूल से मामूली वेतन मिलता और घर पर टयूशन करती ! छोटी होते हुए भी अपने भाई का विवाह इन्होंने करवाया ! 
जीवन ऐसा चल रहा था तो इनकी मुलाक़ात एक सह अध्यापक से हुई ! वह अपने गुरूजनों का राम नाम की खूब बातें करतीं । छुट्टी लेकर हरिद्वार सत्संग पर गई तो वापिस आकर इन्हें बताएँ सब कुछ । अब यह सोचें कि यह कौन से मज़े की बात कर रही हैं ? क्या है यह मज़ा ? 
कृपा स्वरूप दीक्षा ली और हरिद्वार सत्संग में नाम आया । पहले दिन नील धारा गए तो गंगा जी में परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री विराजमान खुली आँखों से देखे । डर गए कि यह क्या ! भगदड़ मच गई कि स्वामीजी के दर्शन हो रहे हैं ! तीनों दिन दर्शन होते रहे सब साधकों को !! तीसरे दिन धुँधले हुए ! 
वापिस आए हँसते हुए व नैनों में अश्रु लिए और बोले – अब पता लगा कि किस मज़े की बात कर रहे हैं ! 
विवाह नहीं हो रहा था । उम्र बढ़ चुकी थी ! पूज्यश्री महाराजश्री को इनकी सखी ने पत्र लिखा तो महाराजश्री ने कहा कि ये तो कोई तपस्विनी हैं ! 
विवाह हुआ और अथाह दुखों का पहाड़ टूट पड़ा ! बहुत ही पीडा जनक व्यवहार और पति पूर्ण रूप से खोटा । बिटिया का जन्म हुआ ! वेदनाएँ कम न हुई ! बिटिया की सुरक्षा के लिए अलग हो गई !  
कितने वर्ष बीत गए पता चला कि पति को गहन बिमारी हो गई है और उसके घर वालों ने साथ छोड़ दिया ! हस्पताल के चक्कर लगाए दवा दारू करवाई और जाने दिया । 
महाराजश्री के आशीर्वाद से छोटी आयु में प्रीनसीपल लग गए ।महाराजश्री बोले – अपनी माँ और अपनी बिटिया की सेवा में जीवन बिताइए । आमदनी अच्छी हो गई बिटिया को पर शहर में डाला । रोज सात घण्टे जाना और सात घण्टे आने का सफ़र करती ! तब ४ वर्ष की बिटिया ने कहा – मैं नानी के साथ रह लूँगी । आप ऐसे सफ़र न करें ! अपना घर भी हो गया था शहर में । 
बच्ची को जब पूज्य गुरूदेव के दर्शन करवाने गए ३-४ वर्ष की आयु में तो बच्ची महाराजश्री की टांगों से लिपट गई ! उसके लिए वे पापा थे ! पूज्य गुरूदेव ने भी बच्ची को अलग करने का कोई प्रयत्न न किया ! प्यार बरसाते रहे !
स्कूल के बाद जितना समय मिलता जाप मे निकलता । अनन्त जाप ! साधना में में ५ दिन निकलते और बच्ची को मिलने छुट्टी में फिर जाते ! 
आज मात्र ४५ वर्ष पर जब डॉक्टर ने blood cancer बताया तो बोले कि ” महाराजश्री ने अपने लिए माँगने के लिए मना किया है सो मांग नहीं सकती ” तब बच्ची ने उनकी कितने वर्ष पुरानी सखी को मैसेज भेजा कि कृपया प्रार्थना करें ।   
गुरूदेव ही स्मरण कर रहे होंगे जो उनके बारे में इतना विस्तार से लिखवाया 
सब आपसे प्रभु सब आपका 🙏

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