माँ और बच्चा 

May 12, 2017 


मां और बच्चा 
एक साधक से …. 
इन साधक की माँ पिछले वर्ष पहले बहुत बिमार हो गई । अनन्त पीड़ा । वे पति पत्नी रहते । बच्चे बाहर । पति देखभाल करते । पर पत्नी पीडा में स्वयमेव कहराती , रात रात जागती ! बहुत पीड़ाजनक स्थिती थी । इनका परिवार साधक परिवार । अपने बच्चे से बिलख कर कहती प्रार्थना कर ! बच्चा कहता कि मां सह लो । कुछ न माँगो । माँ कुछ दिनों के बाद फिर पीडा में रात को फ़ोन करती – बेटा तू प्रार्थना नहीं कर रहा कि मै ठीक हो जाऊं । कर प्रार्थना न ! बच्चा फिर कहता मां , आपमें बहुत सहनशक्ति है ! कृपया सह लो ! राम राम बोलो । पर माँगना न कुछ !  
छोटे भाई ने कहा तुम इस स्थिति में क्यों उनको ऐसा कहते हो ! तुम प्रार्थना में नाम लिखवाओ ! पर वे केवल शक्ति ही माँगते ! कितने माह यही कहते निकल गए और उन्हें सहते ! 
एक दिन ऐसा लगा कि उनकी माँ अब शायद न रहेंगी , तो छोटे के कहने पर प्रार्थना दे दी । पर स्वयं प्रभु से ये ही कहा कि पीडा में न कृपया जाएँ शान्ति से जाएँ । 
माँ कुछ देर बाद ठीक होने लग गई । और फिर काफ़ी बेहतर ! 
उनकी माँ एक ऐसी साधक हैं जो इस उम्र में भी सीखना पसंद करती हैं । गुरूजनों की कृपा से वे अपने मन के प्रति अति सजग हो गई हैं । करूणा उन में संतों जैसी और सेवा भाव भी । उस बिमारी के दौरान उन्होंने अपने बच्चे की बात मानी और एक बार भी प्रभु से ठीक होने के लिए कुछ न माँगा । 
कुछ माह ठीक निकले ! अब वे फिर बिमार हो गई । बिस्तर से क्या ग्लास पकड़ते हुए भी थक जाती । पर चेहरा शान्त है और मुस्कुरा कर कहती है कि अब जान गई हूँ कि मुझे प्रभु से कुछ नहीं कहना ! 

और फिर कुछ आध्यात्मिक सीखने हेतु प्रश्न पूछ देतीं ! 
यह साधक अपने माता पिता के लिए कभी कुछ नहीं कर पाए । पर अपनी मां से यह सुनकर कि अब ” मैं जान गई हूँ कि मुझे ठीक होने के लिए कुछ नहीं माँगना ” मानो गुरूजनों ने उन में शक्ति भर कर जो कहलवाया वह पूर्ण रूप से रंग लाया ! 
गुरूजनों के उपदेश अपने स्वार्थ हेतु तोड़ने मरोड़ने नहीं चाहिए ! गुरूजन की अपार कृपा है कि वे बहुत रूप लेकर हमें सजग करते रहते हैं । उनका काहा मानना न मानना हमारे हाथ में है । पर वे सदा सत्य ही सिखाते रहेंगे ! हर परिस्थिति में ! 

यह अन्तर है वृक्ष और सन्त में ! केवल यह ! संत वृक्ष की भाँति बिना भेद भाव के बिना प्रश्न किए देते रहते हैं पर वृक्ष से भिन्न वे हर पल अपनों का मार्ग दर्शन करते थकते नहीं ! 
 सब आपका प्रभु सब आपसे

Leave a comment