अनन्य भाव 

May 27, 2017

अनन्य भाव 


आज पिताजी अपने बच्चे के साथ बैठ कर भोजन कर रहे थे । वे बोले – बेटा ! सोचो कि घर पर विपत्ति आ गई है और आपके साथ कोई बडा नहीं है बात करने को । 
आप स्कूल जाते हैं और आपको उदास देखकर आपसे मित्र सुझाव देते हैं कि – मेरी मम्मी एक पीर को जानती है, वहाँ तुझे ले चलूँगा वहाँ पूजा करना सब ठीक हो जाता है । 
फिर आपके दूसरे मित्र आते हैं और कहते हैं कि इस मंदिर में चलो ! यहाँ के पुजारी की प्रार्थना बहुत जल्दी सुनी जाती है ! 
तुम क्या करोगे बेटा ? 
बच्चा बोला – नहीं जाऊँगा उनके साथ । 
पिताजी ने कहा – फिर क्या करोगे ? 
बच्चा बोला – अपने महाराज जी से कहूँगा । 
पिताजी ने कहा – हमममम ! हाँ ! यदि लगे कि पूर्ण नहीं हुई तब भी कहीं नहीं जाना ! 
पिताजी बोले अच्छा बताओ यदि कोई कहे – माता रानी का मंत्र करों जल्दी सुनती है या यह मंत्र करो जल्दी मनो कामना पूर्ण होती है ! तब क्या करोगे ? 
बच्चा बोला – नहीं ! राम जपूँगा ! 
पिताजी ने धन्यवाद दिया अपने गुरूतत्व का जो यह शिक्षा उस नन्हें जीव को दिलवा रहे थे !! और साथ ही हमें भी अनन्य भाव सिखा रहे हैं कि चाहे जो कुछ भी हो जाए , हमें एक ही दर पर जाना है केवल एक ! 

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