जैसी करनी वैसा फल आज नहीं तो निश्चित कल  

June 3, 2017

जैसी करनी वैसा फल आज नहीं तो निश्चित कल  

आज एक साधिका परम पूज्यश्री महाराजश्री के पाय गई । बहुत पीड़ित थी । रो रही होंगी । विनती की महाराज मेरा पति मुझे बहुत बेरहमी से मारता है । कृपया इसका कारण बता दीजिए मैं शान्त हो जाऊँगी । पूज्यश्री महाराजश्री ने कहा कि आप पिछले जन्म में इसकी मां थी । और इसके विवाह में बहुत बाधा बनी थी ! वह बस अपना बदला चुका रहा है ! 
परम पूज्यश्री महाराज़श्री कहते हैं कि हम कर्म करते हुए सजग नहीं होते , ध्यान नहीं देते पर फल भुगतते समय बहुत पीडा होती है । उनके अनुसार कई कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है कईयों का भुगतान जन्मों जन्मों करना पड़ता है । 

पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि इस जीवन में हमें जो भी सुख या दुख मिलता है वह कर्मों के अनुसार ही मिलता है । 
सदना कसाई संत बन गए । बकरे ने कहा सदना कितने जन्में से कभी मैं बकरा कभी कसाई कभी तू बकरा तू कसाई बनते आ रहे हैं । यह तू मेरा काम काट कर क्या नया शुरू करने दा रहा है ? सदना ने बकरे को न मारा । साधना आरम्भ की ! संत बन गए । साधना की शक्ति देखने संसार में निकले हैं । किसी नगर में गए और रात रहने के लिए एक दम्पति के घर आश्रय लिया । पत्नि सदना पर मोहित हो गई । रात में आई उसके पास। पर सदना ने इन्कार कर दिया । पत्नि क्रुध हो गई बोली अब भुगत ! उसने पति री हत्या कर दी और इल्ज़ाम सदना पर डाल दिया । लोगों ने सदना के हाथ काट दिए । सदना न रोए । शान्त रहे । परमेश्वर की लीला देख रहे थे । कटे हुए हाथों सेजगन्नाथ पुरी के लिए निकले । प्रभु आए । सदना बोले – प्रभु यह सब क्या ? भगवन बोले – सदना पिछले जन्म में तूने एक गाय को बिना किसी कारण रोक लिया था । पीछे दौड़ता हुआ आदमी आया बोला यह मेरी गाय है । तूने गाय दे दी । वह कसाई था । यह स्त्री वह गाय है । उसका पति कसाई । गाय ने अपना बदला लिया । जिन हाथों से तूने उसे रोका था वह हाथ तेरे गए। सदना बोले पर प्रभु आप मेरे अपराध क्षमा भी कर सकते थे ! भगवन बोले यदि अब क्षमा कर देता तो तुझे किसी और जन्म में भुगतान करना पडता !
परम पूज्य महराजश्री बड़े बलाड्य शब्दों में कहते हैं कि जैसी करनी वैसा फल , आज नहीं तो निश्चित कल ! यदि हम साधक होकर नहीं सम्भलते , तो उसके भुगतान के लिए तैयारी करनी है ! 
पर जो पीड़ित हो रहा है उसके कर्म भक्ति द्वारा ही समाप्त हो सकते हैं । तभी पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि परमेश्वर से बल माँगिए । दुख दूर हो जाए यह नहीं शक्ति मिले कि हम सहन कर सकें , क्षमा कर सकें । जन्म मरण का चक्कर कर्मों के भुगतान से , निष्काम कर्म से , भक्ति से ,खरबों राम नाम से , सम्पूर्ण समर्पण से समाप्त हो जाते हैं । 
श्री श्री चरणों में

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