परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री व अन्य मत 

परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री व अन्य मत 

परम पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री के मुखारविंद से 

( audio recording ) 
महाराज कहा करते थे – Jews को हर देश ने बड़ी बुरी तरह से बर्ताव किया गया । तो महाराज उनके लिए प्रार्थना किया करते कि इसराइल की हालत सुधर जाए, और सब आदर के साथ में रहें , तो आज हम देखते ही हैं , कि इसराइल सब मुसलमान देशों के आस पास कैसे खड़ा हुआ है। 
महाराज लोधी में थे, वहाँ कथा कहा करते, तो वहाँ मुसलमान भी आया करते कथा में । एक पंजाब असेंबली के स्पीकर थे, खान बहादुर शहाबुद्दीन । तीन चार रोज वो आए नहीं कथा सुनने के लिए , तो महाराज ने जस्टिस टेकचन्द जी से पूछा कि खान बहादुर क्यों नहीं आए ? पता लगा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं । तो महाराज कहने लगे , हम जाकर देख आयेंगे । महाराज गए वहाँ , तो खान बहादुर बिस्तर में थे । पूछा क्या बात हो गई तो कहने लगे कि मुझे पता चला था डॉक्टरों से कि मालवे में विटामिन सी होती है, और इससे बहुत ख़ून बनता है। मेरे अपने ज़मीनों के माल्टे थे, मैंने खूब रस पिया तो मेरे पाँव में सूजन आ गई । तो महाराज हंस पड़े , कहने लगे, ” कि हर एक चीज पूरे तरीक़े से ही लेना चाहिये , ज्यादा लेने से नुक्सान हुआ करता है” आपने इतना क्यों ज्यादा जींस पी लिया ?”

कहना यह था कि महाराज सबसे प्यार करते थे , महाराज के लिए सब समान थे । 
एक बार डलहौज़ी से महाराज वापिस लौट रहे थे । एक जगह गाड़ियाँ खडी होती है, गेट बन्द होता है। जब दूसरी तरफ़ से गाड़ियाँ आ जाती हैं तो फिर वह गेट खुलता है। तो महाराज कार से उतर आए, टहलने लगे । एक कोई और किसी मत को मानने वाला था, और बहुत अच्छी पोज़ीशन वाला था । वो महाराज के पास आकर खड़ा हो गया । कहने लगा,” महाराज ! राम नाम में क्या रखा है? हमारे गुरू तो पहले बार ही दशव्ं द्वार से पार कर देते हैं!” महाराज ने सोचा , ” इसके अपने मत के मानने वालों में बहुत आदर है, बहुत पोज़ीशन है और बहुत बड़ी नौकरी है। इसके मन में कहीं ऐसा गलत प्रभाव न पड़ा रहे। तो महाराज उससे कहने लगे , ” अगर तू चाहे ( उनके गुरू को गुज़रे हुए देर हो गई थी) इसलिए उन्हें कहने लगे ” अगर तू चाहे तो तेरे गुरू से मैं अब कहलवा दूँ कि वो कहां है ? ” इतनी बात सुन कर वो शर्मिंदा हो गए और चुप हो गए । 
कहना यह था ,” प्राय लोग अपने आप को दूसरों से बड़ा मानते है, समझते हैं, कि हम पूर्ण हैं। परन्तु कौन कैसा है, भगवान जानते हैं। कोई अभिमान क्यूँ करे? दूसरे को छोटा क्यों कहे? परमेश्वर की कृपा तो सब पर हुआ करती है। और परमेश्वर को सभी प्यारे हुआ करते है।” 
क्रमश: ….

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