बच्चों का ध्यान रखना है माता पिता को 


आज एक कौए का बच्चा बहुत उदास है । वह अपने इम्तिहान में फ़ेल हो गया । उसकी संगति अच्छी नहीं रही थी । वह गलत कार्य करता तो कोई सही राह भी न बताता! बड़े खांनदान का था ! पर अचानक, व अकारण गुरू कृपा बरसी और गुरू के प्रेम का रसपान हुआ ! पर कुछ समय पश्चात फिर वापिस अपनी राह पर …. 
आज गिलहरि की बच्ची भी उदास है । उसके पिता नहीं रहे । उसकी सोच अपनी माँ की सोच से भिन्न है । वह माँ को समझाने का प्रयत्न करती है पर माँ दुख में ही रह रही है । बच्ची पर क्या बीत रही है पिता के जाने से वह समझ नहीं पा रही … बच्ची पिता के जाने से अनाथ महसूस कर रही है ! बाहर के अलग कटाक्ष व घर पर माँ का रूखापन …… 
परम पूज्यश्री महाराजश्री कहते हैं कि बच्चे पैदा करने से ही हम माता पिता नहीं बनते , हमें उन्हे हर राह पर यह बताना है कि उनके साथ हैं चाहे वे कैसे भी काम क्यों न करें ! हमें विभिन्न परिस्थितियों मे उन्हें त्यागना नहीं है बल्कि एक उम्र के बाद उनके सबसे प्रिय मित्र बनना है ! 
बच्चों को हर राह पर प्यार की आवश्यकता होती है । बहुत बारने बहुत सा बोझ अपने अंदर ले कर घूम रहे होते हैं। 
विवाह नहीं हो रहा – अपनी गलती मानते हैं ! कि मेरे कारण माता पिता दुखी है ! ऐसे संस्कारी बच्चों को समझना साधारण माता पिता के लिए कठिन हो जाता है । बच्चे गलत रापर नहीं चलते व माता पिता को मना करते हैं तो माता पिता बोलते नहीं या अपशब्द कहते हैं ! 
जब तक बच्चे माता पिता की ज़िम्मेदारी हैं हम माता पिता को उन्हें सुनना है । हर समय राय नहीं देनी ! हर समय सिखाना नहीं ! उनकी सुननी भी है ! 
जो बच्चे गुरूजन को अपनी सुनाते हैं गुरूजन सुनते हैं । वे जानते हैं बच्चे कितने कठिन दौर से गुज़र रहे होते हैं । राम नाम के जाप से गुरूजन बच्चों को गले गलाए रखते हैं ! पर यदि हम माता पिता अपना कर्त्वय सही समय पर नहीं निभाते तो कर्मों की गाँठें हमें ही कस देती हैं । 
बच्चे न भी सुनें हमें अपना कर्त्व्य निभाते रहना है । 
परमेश्वर सबका मंगल करें । सद्बुद्धि बक्शें ।

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