FAQs – पारिवारिक नकारात्मकता

Aug 7, 2017


प्रश्न : मेरे परिवार में एक संबंधी जिनसे हमारा मिलना हर रोज होता है वह शरेआम ललकार कर गई कि मैं देखती हीं कि तेरा विवाह कैसे होता है । वे हर गलत जगह पर जाती हैं यह पता है । कल ध्यान में भी मुझे नकारात्मक चीज़ें दिखी न महसूस हुई । हमारे परिवार पर विपदा आई कोई मदद नहीं की । ऐसे में मुझसे उन्हें राम राम भी नहीं होती । फिर स्वामीजी महाराज जि के ” उपासक का आंतरिक जीवन” जीवन में नहीं लागू होता तो, मन में साधना पर प्रश्नचिह्न लग जाता है । 
पारिवारिक संबंधों की ऐसी कड़वाहट में यह जरूर समझना आवश्यक है कि इनसे बहुत लोग गुज़र रहे होते हैं। हम अकेले नहीं । लोगों को छोड़ कर दायरा छोटा करें तो बहुत साधक भी ऐसी नकारात्मक शक्तियों का शिकार होते हैं । 
पूज्यमहाराजश्री को जब दिल्ली लाया गया , उन्होंने क्या क्या सहा होगा यह उनकी कुछ माह पश्चात जालंधर में कही गई पंक्ति से पता चलता है – मुझे तो लगता है मुझे गोली से ही मार देंगे ! 

उनके जीवन से हमें सीखना है कि उनके आस पास इतना घृणा ईर्ष्या की तरंगें मिलती होगी पर राम नाम समर्पण विनम्र भाव व सबमें राम के सिवाय कुछ देखना ही न , उनके ऐसे गुणों ने न केवल उन्हें साधकों के हृदयों पर राज करवाया बल्कि उन्होंने ऐसे देह त्यागा कि उन्हें पसंद न करने वाले व ईर्ष्या करने वाले उनसे अपने संबंध जोड़ने लग गए ! कोई कुछ न कह सका ! 
महाराजश्री ने स्वयं श्रीमुख से कहा है कि संतों को जितना नकारात्मकता का समाना करना पडता है वह सामान्य साधक ने सुना भी नहीं होता । 
पूज्यश्री महाराजश्री ने एक पल भी पूज्य़श्री स्वामीजी महाराजश्री के आदेशों का उल्लंघन नहीं किया । चाहे बाहर संसार ने उन्हें क्या क्या न कहा होगा । वे सदा हर एक से प्रेम से ही मिले । 
हमारे गुरूजन हमारे आदर्श हैं । उन्होंने सब भुगता है व करके दिखाया है कि राम नाम सुरक्षा कवच है , राम नाम हर नकारात्मक शक्ति को विध्वंस करने की क्षमता रखता है, चाहे वह सामान्य व्यक्ति में हो चाहे साधक में ! समर्पित साधक का बाल भी बाँका नहीं हो सकता । 

ऐसे में हम अपनी साधना और बढा दें और जो परिवारजन ऐसा करते हैं उनके लिए एक श्री अमृतवाणी का पाठ अवश्य समर्पित कर दें । 

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