Aug 22, 2017
परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कहते हैं कि जिस प्रार्थनाशील ने परम विश्वास, निरपेक्ष सत्य व परम शुचिता साध ली लो , उसे साधन की सिद्धि साध लेना कहते हैं।
वह निष्काम प्रार्थना के लिए योग्यता प्राप्त कर लेता है । उसके संकल्प दूर तक संचार विचार करते रहते हैं । यदि ऐसी सिद्धि का धनी यदि अकेला या अन्य स्वजनों के साथ प्रार्थना करे तो परिणाम बहुत अच्छे निकलने की सम्भावना होती है ।
गुरूजन कहते हैं कि ऐसे सज्जनों को अपने आप को गुप्त रखना चाहिए व प्रार्थनाओं को भी गुप्त रखना चाहिए । प्रार्थना हमारे और परम प्यारे की आपस की बात है वहाँ तीसरा नहीं आना चाहिए ।
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