Aug 23, 2017
परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कहते हैं कि यदि प्रार्थनाशील व्यक्ति शांत है, राग द्वेष से रहित है , मोह माया से शून्य है व परमेश्वर को हर पल अंग संग मानता हो तो वह कहीं भी बैठा क्यों न हो , यदि वह किसी उच्च भाव को लेकर प्रार्थना करे तो उसे अवश्य सफलता प्राप्त होती है !
साधकों के जीवन में रूपान्तरण आना, संसारिक व्याधियों का दूर होना, संकटों से रक्षा होना, नकारात्मक शक्तियों का विध्वंस होना , नकारात्मक विचारों का सुप्त हो जाना , हजारों में भक्ति भाव उमड़ना, देश प्रगतिशील होना, देश में सकारात्मकता की विजय होना, यह ऐसी प्रार्थनाओं का ही फल होता है !
जिन साधकों को ऐसी सिद्धि प्राप्त होती है उन्हें गुप्त रूप से ऐसे सकारात्मक कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखना ही गुरूजनों व राम के कार्य में संलग्न होना कहा जाता है ।