प्रार्थना में मनोरथ

Aug 24, 2017

परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री कह रहे हैं कि यदि प्रार्थना शील मनुष्य के मन में कोई मनोरथ है अपने लिए या किसी अन्य के लिए तो वह उस मनोरथ से संबंधित पदों को पढ़ कर नाम जाप कर सकता है । 
जैसे ही हम यदि परमेश्वर से स्वयं में विश्वास या शुचिता चाहते हैं तो हम 

यह दोहा पढ़ सकते हैं – 
सर्वशक्तिमय रामजी अखिल विश्व के नाथ 

शुचिता सत्य सुविश्वास दे, सिर पर धर कर हाथ ।।
इस दोहे को पढने के बाद पूज्य पाद गुरूदेव कहते हैं कि एक से दो लाख का जाप करके , जाप की समाप्ति पर पद फिर से पढ़कर जाप समाप्त कर सकते हैं । 
इसी तरह स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति या अन्य की उन्नति व कष्ट के लिए यदि मन में मनोरथ है तो कोई पद पढ कर प्रार्थना कर सकते हैं । 

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