पर सुधार प्रार्थना के नियम 

Aug 27, 2017

परम पूज्यश्री स्वामीजी पर सुधार हेतु समझा रहे हैं कि कभी भी किसी गलत वजह के लिए अन्य के लिए प्रार्थना नहीं करनी । कभी किसी को हानि पहुँचे या किसी का नुक़सान हो । या दो पक्षों में से एक विजयी हो या किसी झूठे जन को सच्चा बनाने के लिए प्रार्थना इत्यादि करनी वर्जित है । 

कई बार हमारे पास प्रार्थना दो पक्षों से भी आती हैं । हम नहीं जान सकते कि कौन सच्चा है या कौन गलत । हम को नौकर ठहरे किसी को न नहीं कह सकते। इसलिए परमेश्वर से यही विनती गुरूजनों ने सिखाई है कि भगवन यदि आपको ठीक लगे तो कृपया कृपा कर दीजिए ! यदि आपकी इच्छा हो तो शान्ति दे दीजिए ताकि साधना कर सकें , इत्यादि। 

प्रार्थना करने वाले को अपनी प्रार्थना पर ढींग मारनी या उसका वर्णन करना भी वर्जित है । यदि हमें ध्यान इत्यादि में कुछ आदेश किसी के लिए मिलता भी है तो भी हमें प्रार्थना करनी ही चाहिए ! पर हम गलती तर बैठते हैं और चौधरी बन कर चले जाते हैं । नौकर बनना चाहिए । नौकर जैसी वृत्ति परमेश्वर दे तो सदा हैसियत में रहते हैं । रहना तो मालिक रो समक्ष है ! 
प्रार्थना को आजीविका का साधन बनाना भी गुरूजनों ने निषेध किया है । प्रार्थना के कार्य अति शुद्ध सरल व बाल भाव से ही करने का आदेश है। 

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