नाम जाप सर्वोच्य प्रार्थना 

Aug 29, 2017

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कह रहे हैं कि प्रार्थना का सबसे उच्च रूप नाम जाप है । आप नाम जाप कर रहे हैं , मानो आप निष्काम प्रार्थना स्वयमेव ही कर रहे हैं । 

नाम जाप का मतलब , परमेश्वर का प्रेम पूर्वक आह्वाहन करना । जब प्रेम बीच में हो तो परमात्मदेव का सानिध्य अपने आप प्राप्त हो जाता है । 

गुरूजन कहते हैं कि जब प्रार्थनाशील व्यक्ति अपने आराध्य देव को नाम मे विराजित जान कर पुकार करता है तो उसे लीनता आसानी से व जल्दी प्राप्त हो जाती है ! 
सो जो साधक नियमित रूप से प्रेमपूर्वक नाम जाप करते हैं तो उनका जाप ही उनकी प्रार्थना बन जाता है और जार ही ध्यान व मौन में प्रवेश करवा देता है । इसी तरह ध्यान व मौन अपने आप में प्रार्थना ही हैं । 

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