परमेश्वर की सर्वोच्य कृपा – मानव जन्म 

Aug 30, 2017

आज का सुविचार 

परमेश्वर की सर्वोच्य अकारण कृपा – हमे मानव जन्म दिया । 
इस जन्म की संतों के इतने गुण गाए हैं कि कुछ कहा ही नहीं जा सकता ! 
यही वह जन्म है जहाँ से हम अपने घर वापिस जा सकते हैं। यही वह जन्म है जहाँ से हम परमेश्वर से एक्य प्राप्त कर सकते हैं ! यही वह जन्म है जिससे हम स्वयं अपने आप को जान सकते हैं! यही वह जन्म है जहाँ से परमेश्वर के रहस्यों का ज्ञान प्राप्त हो सकता है ! यही वह जन्म है जहाँ परमेश्वर के प्रेम को सम्पूर्ण रूप में महसूस कर सकते हैं और स्वयं प्रेम स्वरूप में बन सकते हैं ! यही वह जन्म है जहाँ अपने अहम् को पूर्ण रूप से मिटाकर दिव्यता के प्रवाह को बहने दे सकते हैं। यही वह जन्म है जहाँ हम अपने पिछले ऋण उतार सकते हैं और जन्म मरण का चक्र समाप्त कर सकते हैं । यही वह जन्म है जहाँ पूर्ण रूप से पाप मिट सकते हैं और शुभता व्याप्त हो सकती है ! यही वह जन्म है जब परमेश्वर का यंत्र बन कर प्रकृति से एक हो सकते हैं ! 
गुरूजन कहते हैं कि यदि स्वयं को न जाना तो जीवन व्यर्थ गया । 
पशुवत जीवन ही है यदि पैदा हुए , बड़े हुए , विवाह हुआ, बच्चे हुए , कमाया, वृद्ध हुए और मर गए ! पशु भी यही करते हैं ! 
पशुवत जीवन से हटकर अपनी आत्मा का उत्थान किया , अपनी कमज़ोरियों पर विजय पाई , मानवता जीवन में लाए व स्वयं को जाना, तभी मानव जीवन का सदुपयोग हुआ व परमेश्वर का सही माएने में धन्यवाद भी ! 
आज परमेश्वर की इस अकारण कृपा हम बहुत गम्भीरता से विचार करें वह भीतर आजीवन जाते रहने का निश्चय करें। मानव होने का सही माएने में एहसास करें और गद् गद् होकर धन्यवाद के साथ हर पल उसी में रहें ! 
मंगलमय दिवस

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