नाना उक्तियाँ ( ३४-३६)

Aug 30, 2017

परम पूज्य़श्री श्री स्वामीजी महाराजश्री युवा बच्चों से कह रहे हैं कि यौवन में ऐसे सुकर्म करो जिससे आपकी जगत में प्रतिष्ठा बन जाए । क्योंकि जिस तरह वसंत के बीत जाने पर अंगूर फूलते नहीं हैं उसी तरह समय हाथ से निकल जाने पर कुछ कर नहीं सकते । 
पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि जब तक शरीर हृष्ट पुष्ट है तब तक खूब कर्म सुधर्म करने करने चाहिए , खूब साधना करनी चाहिए और व्यवहार में लानी चाहिए । यौवन के चले जाने पर शरीर में बुढ़ापा आ जाता है और वह बाँस के भाँति ही बन जाता है । 
इसलिए पूज्य सद्गुरू महाराज कहते हैं कि जी जान ले मेहनत करनी चाहिए और जब जीवन में वृद्धि हो रही हो तभी खूब दान देना चाहिए , बाद में करेंगे, इसका इंतज़ार नहीं करना चाहिए ! जिस तरह पतझड़ आने पर न ही छाया मिलती है न ही फल लगता है, इसी तरह समय के बढ़ते जाने से देह में भी जान नहीं रहती । 
तभी पूज्य गुरूदेव को भी युवा बच्चे साधना करें, व साधना रत रहें , उन्हें यह सब सदा बहुत पसंद रहा है ! 

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