August 31, 2017
आज का सुविचार
परमेश्वर के अथाह प्रेम की अभिव्यक्ति – सच्चे संत की चरण शरण मिलनी
सच्चे संत के रूप में प्रभु अपना बनाने आते हैं ! तभी सच्चे संत की देह को नहीं बल्कि उनके तत्व को पूज्य मानते हैं !
हमारे गुरूजनों ने तो देह की पूजा की वर्जित की सदा ताकि देह पर ध्यान ही न केंद्रित हो पर परमेश्वर का आकर्षण व नूर ही देह में ऐसे छलकता है कि देह पर न जाना सम्भव नहीं !
पर गुरूजन कहते हैं कि इस आकर्षण का भी कारण है कि मन संसार से हटकर संत पर लग जाए ।
पर सच्चे संत अपनी देह तक कभी भक्तों को अटकाते नहीं , वे तो उनकी ओर केंद्रित करने में सदा लगे रहते हैं जो अपने भक्तों से अथाह प्रेम करने आया होता है – परमेश्वर !
परमेश्वर संतों के माध्यम से ही भीतर का मल स्वयं धोते हैं, संतों के माध्यम से संतों के शुभ कर्म बलहीन भक्तों को देते हैं, संतों के माध्यम से ऐसे प्रेम की बौछार करते हैं जो कभी भक्तों ने देखा न सुना हो । संतो के माध्यम से साधकों की आत्मा का उत्थान होता है व अंतत: उनकेॉचकणों में विलीन होने का अतिदुर्लभ सौभाग्य प्राप्त होता है !
जीवन मे सच्चे संत का मिलना फिर उस जीवन में रूपांतरण आना परमेश्वर के अथाह व अकारण प्रेम की ही अभिव्यक्ति है !
परमेश्वर की इस अकारण कृपा का बारम्बार धन्यवाद व आजीवन चिरऋणी