गुरू परमेश्वर के प्रतिनिधि 

September 1, 2017

आज का सुविचार 
सच्चे गुरू परमेश्वर के प्रतिनिधि होते हैं । परमेश्वर के गुणों का परमेश्वर की शक्तियों का , परमेश्वर की कृपाओ का प्रतिनिधित्व करते हैं । यह प्रतिनिधि तभी सम्भव है जब वे स्वयं उन जैसे हो जाएँ । 
सच्चे गुरू की “मैं” परमेश्वर मे पूर्ण रूप से विलीन हो गई होती है जिससे उनका अपना कुछ नहीं रहता । केवल परमेश्वर के आसरे ही वे होते है। उनका अपना मन भी नहीं रहता , समिष्टी मन ( परमेश्वर का मन ) ही उनके लिए केवल रह जाता है । 
उनकी ” मैं” के विलीन होने से उनके भीतर परमेश्वर का तत्व ही कार्य करता है । वही ऊर्जा जो नए फूल लेकर आती हैं वही ऊर्जा उन में जागृत हो गई होती है । और इसी लिए उनमें असीमित आकर्षण होता है ! 
तत्व के रूप में तो वे ब्रह्माण्ड के हर प्राणी पर कृपा बरसाते हैं पर देह में सीमित होने के कारण उन्हें अपने अपने क्षेत्र दिए होते हैं जहाँ वे असंख्य आत्माओं का उत्थान व उद्धार करते हैं । 

क्योंकि गुरू परमेश्वर के प्रतिनिधि होते हैं इसलिए उनका कार्य बहुत ही कठिन होता है । असंख्य जीवात्माओं का उत्तरदाइत्व उन पर होता है । 

यदि वे अपने कार्य का दुर्पयोग करते हैं तो उन्हें भारी क्षति का भी सामना करना पड़ता है । 
हर जीवात्मा के गुरू होते हैं। कइयों जीवात्माओ को उनके भौतिक रूप के संग लीला का सौभाग्य मिलता है । जो जीवात्माएं भौतिक गुरू को नही भी मानतीं उनके भी आलौकिक जगत में गुरू होते हैं जो सूक्ष्म रूप से उनका मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। 
हमारा अति अति सौभाग्य कि हमे ऐसे उच्च कोटि के संत गुरू के रूप में मिले। उन परम पूजनीय गुरूतत्वों को हर ओर से प्रणाम , अंदर व बाहर दोनों जगह प्रणाम व साष्टांग नमन । 
आज इस अकारण कृपा के लिए परमेश्वर का बारम्बार धन्यवाद । 
मंगलमय दिवस 

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