Aug 30, 2017
परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री कहते हैं कि जब तक चक्की में आटा है तब तक पिसता दाता है मानो कि जब तक स्वास्थ्य है नाम आराधना कर लेना चाहिए नहीं तो बाद में तो जब घूमना फिरना बंद हो जाए , तो खाया पिया भी नहीं जाता, साधना कहां से हो!
पूज्य महाराज जी समझाते हैं कि जिस तरह बनिये की नज़र अच्छे सौदे पर होती है, उसी तरह हमें भी खूब नाम जाप व ध्यान करना चाहिए ! बार बार समय का इतना अच्छा सौदा नहीं मिलता ।
यह समय व शरीर व इंद्रियाँ साधना के लिए अनमोल हैं इन्हें कंकर के भाव से यूँही संसारिकता में गँवाना नहीं चाहिए ! इनका नाम आराधन के लिए सदुपयोग करना चाहिए ।