Aug 27, 2017
परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कहते हैं कि हर कर्म बहुत ही शुभ भाव से करने चाहिए किन्तु उन कर्मों के फल की चिन्ता परमेश्वर के अधीन ! फल से हमारा कोई सरोकार नहीं । पूज्य महाराज कहते हैं कि चाहे जैसा रूखा सूखा खाने को मिले कभी भी उसका तिरस्कार नहीं करना ।
अपनी रूखी सूखी में आनन्द लेना चाहिए , दूसरे की थाली मे नज़र नहीं होनी चाहिए । यह केवल भोजन के लिए ही नहीं बल्कि संसारी हर चीज के लिए व अध्यात्म भी !!
महापाजश्री कहते हैं कि चाहे चने चबा कर ही नाम क्यों न जपना पड़े , यदि दूध घी इत्यादि न मिलते हों तो ! हमें कभी भी दूसरे की वस्तु पर न ही नज़र और न ही लार टपकानी चाहिए ! यह सही नहीं है ।
स्वय जो मिला है उस पर कृतज्ञता भाव से स्वीकार करके सदा ऋणि रहने का ही भाव परमेश्वर भीतर बनाएँ।
सब आपका 🙏