झाबुआ – राम नाम की काशी तीर्थ यात्रा 

झाबुआ – राम नाम की काशी तीर्थ यात्रा आलौकिक राम आलौकिक झाबुआ 

पृष्ठ 46-47

लेखक – डॉ गौतम चैटर्जी 


१४ फ़रवरी . २०१४, सायं ४ बजे , मैंने झाबुआ के लिए रवाना होते हुए अपनी पत्नी से अनायास ही कहा कि मैं झाबुआ तीर्थ पर जा रहा हूँ । महर्षि डॉ विश्वामित्र जी महाराज ने, ऐसी भविष्यवाणी की थी, कि झाबुआ भविष्य में राम नाम की काशी बन जाएगा । हुआ यूँ कि जब महाराज जी झाबुआ में थे , तो आनन्द जी ने मीनाक्षा सोनी को कहा था कि एक दिन झाबुआ काशी तीर्थ की तरह एक पवित्र स्थान बन जाएगा । मीनाक्षी ने महाराज जी को आनन्द जी की यह बात बताई तो उन्होंने तुरन्त जवाब दिया , ” हाँ , यह काशी है और भविष्य

में यह एक और काशी ही बन जाएगा ।”
यह बड़ी दिलचस्प बात है कि श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने अपने जीवन काल में कल्पना की थी कि मध्यप्रदेश का यह हिस्सा , राम नाम की पवित्र भूमि बन जाएगा। ( कृपया प्रवचन पीयूष के पृष्ठ संख्या १३८ को पढें जो सन् 1988 में प्रकाशित हुआ ) स्वामीजी महाराज ने कहा था, कि राम काज को फैलाने के लिए हमें ऐसे लोग चाहिए जो व्यवसाय में से समय निकाल कर और जो अपने संसारिक करतव्य निभाने के बाद , जितना सम्भव हो अधिक से अधिक समय राम काज करने के लिए समर्पित करें । उन्होंने लोगों को मध्य प्रदेश को इन्दौर के आस पास घूमने और अधिक गहनता से राम काज करने के लिए प्रेरित किया था । 
इसके अतिरिक्त परम पूज्य श्री प्रेम जी महाराज ने 1981-82 में साधना सत्संग के दौरान , घोषित किसी कि धार और झाबुआ दिलों में राम नाम साधना का प्रसार करना चाहिए । आनन्द जी ने मुझे बताया कि परम पूज्यश्री प्रेम जी महाराज एक बार इंदौर से सड़क मार्ग द्वारा झाबुआ के लिए चले थे, पर कुछ अज्ञात कारणों यात्रा पूर्ण न हुई । 
फिर भी, महर्षि स्वामी डॉ विश्वामित्र जी महाराज अपने गुरूजनों के चरणचिन्हों पर चले और 1993 से सतत योजनाबद्ध तरीक़े से राम नाम का प्रसार किया । अब , विशेषतया उनके महानिर्वाण के बाद, लगता है कि वे निश्चित रूप से सूक्ष्म शरीर से वहाँ बहुत काम कर रहे हैं और राम नाम जंगल की आग की तरह फैल रहा है, ऐसे ही उन्होंने मुझे आलौकिक राम आलौकिक झाबुआ दिखाया है ।

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