बूटी व गुरूजन 

Oct 29, 2017
बूटी इस बार बहुत बढ चुकी थी । सोचा इस शनिवार अवश्य करूँगी ! उन्हें देखकर अपने गुरूजनों का धन्यवाद किया कि वे निरन्तर कैसे लगे रहतें हैं सफाई करने ! 
सफाई में कभी टहनियों की कटाई की कभी मोटी बूटी जड़ से निकाली और छोटी बूटी हाथ से ! मैं देख रही थी कि मुझसे हर बूटी नहीं निकल पा रही थी ! माली होता तो शायद एक एक साफ हो जाती ! फिर गुरूजनों का धन्यवाद किया कि वे मेरी जैसी सफाई नहीं करते !!! 😀 
घास पर तो बाप रे बहुत ही उग गई थी !! कुछ कुछ की ! खुम्ब भी सूख चुके थे । इस बार उन्हें स्वयं ही जड़ से निकाला … चाहा कि मुक्ति मिल जाए उन्हें !! पर बीज तो वे फिर भी डाल गए होंगे…. पता नहीं ! 
अभी भी काम बाकि है ….. न जाने कब अब बारी आएगी … यह सोच कर फिर गुरूजनों के श्रीचरणों में नतमस्तक हूँ कि वे बेचारे हम सब के लिए सतत लगे रहते हैं …… बिन सोए …अनथक !!! ताकि हम पावन हो सकें … परमानन्द पा सकें ……
ऐसे गुरूजनों के श्रीचरणो में बारम्बार वंदन !

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