Oct 31, 2017
प्रश्न : जब हमने संकल्प लिया होता है तो हम नियमित गिनती का जप करते हैं , २०,०००/ ३०,००० तो अपने आप जाप आरम्भ हो जाता है । उसे तो हम गिनती में नहीं करते न कि महाराज स्वयं गिन लेंगे ।
परम पूज्य श्री महाराजश्री कहते हैं कि जाप का प्रसाद और जाप । जाप इतना कि वह ध्यान में परिवर्तित हो जाए । ध्यान इतना कि हम सारा दिन खुली आँख से ध्यानस्थ रह सकें ।
पर महाराजश्री कहते हैं कि जो नियत गिनती का करना है वह करके , एक अलग छोटी माला पर प्रेम से जैसे हो सके .. भीतर से जैसे निकले वैसे राम को याद करिए । चलने दीजिए जैसे चलता है । उसमें खो जाइए ! जितना खो सकते है ।