Dec 1, 2017
आज का सुविचार
स्वपन देखिए और उन्हें विकसित कीजिए और यदि हम उन सपनों के लिए जीते हैं तो कोई विफलता हमें भयभीत नहीं कर सकती और यदि विफलता बार बार आए तब भी वह हमें हिला नहीं सकती ।
यह पंक्ति मुझे बहुत भा गई ! इसमें इतनी ऊर्जा महसूस होती है कि आज का सुविचार इसे बनाना पड़ा । यह आदरणीय डॉ चैटर्जी ” चिन्तन एक सकारात्मक सृजन” से ली है । ऐसा ही कुछ स्वामी विवेकानन्द जी का भी कुछ मिलता जुलता कभी पढा था ।
विभिन्न तरह के सपने देखते हैं लोग ! कुछ अपने लिए, कुछ दूसरों के लिए ! संतगण भी अपने शिष्यों के लिए सपने देखते हैं । या अपने शिष्यों के गुणों के विश्व भर में विस्तार हो, ऐसे सपने देखते हैं। और कई शिष्य अपने गुरू के सपने को साकार करने हेतु बहुत बहुत कुछ करते हैं। चाहे सफलता एक दम न भी दिखे पर वे हर मौक़े की तालाश में रहते हैं कि अपने गुरू के वचनों को साकार कर सकें । उनमें न भय होता है न भय निकट आकर छू सकता है ! वे केवल उस उद्देश्य के पूर्ण करने हेतु और और सपने देखते हैं!
जो सपना देखें , उसे विकसित व साकार करने के लिए तन मन एक कर दें क्योंकि हमारी सोच में ही भविष्य की नियति लिखी जा रही होती है !