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Nov 24, 2016

अपने मित्रगण में ज्ञान का प्रवाह करिए ताकि आप उन्हें राह दिखा सकें ~ डॉ गौतम चैटर्जी, Positive Mantra

परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री ने कहा है कि जिसको कुछ पता है वह दूसरों को बता कर उन्हें आगे लाए ! यहाँ कोई छोटा बड़ा नहीं है !

यह आवश्यक नहीं कि उम्र से साधक की साधकाई मापी जाए या कितना गुरूजनों ने अपने निकट रखा उससे ! गुरूजन की कृपा तो कहीं भी किसी पर भी किसी समय भी बरस सकती है !

पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि एक मामूली सा इंसान , छोटा साधक बड़ी बड़ी बातें करने लग जाए तो मानो वहाँ दिव्यता का प्रवाह चल रहा है !

पर यहां एक बात देखने की है कि स्वयं अपनी ध्यानवस्था बता कर, स्वयं अपनी सिद्धियाँ बता कर, स्वयं यह कह कर कि मुझे गुरूदेव ने यह कहा वह कहा, यह दिव्यता का प्रवाह नहीं ! राम को अपनी महक फैलाने के लिए विज्ञापन की आवश्यकता नहीं ! वह महक तो स्वयमेव फैलती है !

पूज्यमहाराजश्री जब मनाली तपस्या कर रहे थे , उनकी महक स्वयमेव फैल रही थी ! साधकों को स्वप्नों में गुरूजन के संदेश व संकेत मिल रहे थे ! और फिर उन्हें आमंत्रित कर श्रीरामशरणम दिल्ली लाया गया ! उन्होंने तो कभी आजतक अपनी जीवनी के अलावा, अपनी बात नहीं की ! यहाँ तक की एक आध्यात्मिक संस्था के सरताज होते हुए भी, अन्य संत गणों की सेवा की ! पूज्यश्री स्वामी रामदास जी की पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद किया। पर बाहर भनक न पड़ने दी । अपनी आध्यात्मिक उन्नति उन्होंने गद्दी पर भी गुप्त राखी । सदा सदा सेवक ही माना व बने रहे ! उनकी सादगी व विनम्रता के कारण साधक उनके असली स्वरूप तक को न जान पाए! इतना बाहरी जगत में होते हुए भी स्वयं को सिकोड़े रेखा ! पर उनकी छवि को जो एक बार देख लेता भूलता नहीं ! क्या स्वयं के विज्ञापन दिए उन्होंने ? नहीं ! राम के प्रवाह को विज्ञापन की आवश्यकता नहीं होती ! पूज्य महाराजश्री तो गद्दी पर आने से पहले भी जगह जगह जाकर सत्संग लगाते , व ज्ञान का प्रवाह बाँटते !

गुरूजन हमारे ,साधक, शिष्य भी रहे हैं और फिर आध्यात्मिक जगत के सरताज! उनका जीवन ही सर्वोच्य अनुकर्णिय है !

पर हम ऐसे नहीं है ! हम नेतागीरी करते हैं । गुठ बनाते हैं और भेद भाव करते हैं । नीचे गिराने की या पीछे हटाने की चेष्टा करते हैं ।कितनी भिन्नता है हमारी सोच में व गुरूजनों के जीवन में !

उन जैसा स्वयं बनना तो असम्भव है ! पर हाथ जोड़ श्रीचरणों में फिर भी विनती कर सकते हैं कि अपना जैसा बना दीजिए! यह हिम्मत भी तभी करते हैं क्योंकि आपजी ने स्वयं ही कहा है प्रभु ऐसा करने के लिए !!

सर्व करनकरावनहार मेरे मालिक !

श्री श्री चरणों में 🙏

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