Nov 25, 2016
हमारे जीवन के अनुभवों से ज्ञान विकसित होता है ~ डॉ गौतम चैटर्जी , Positive Mantra
परम पूज्य गुरूदेव कहते हैं कि साधना अनुभव में आनी चाहिए ! नहीं तो वह ऐसे जैसे कि बैंक में पैसा है पर रह रहे हैं ग़रीबों की भाँति ।
अनुभवों के संग यदि गुरूजनों की कृपा हो , तो ज्ञान बहुत सकारात्मक ढंग से विकसित होता है । उदाहरणतया, परिवार में यदि पत्नि पति या ससुराल व बहु का आपस में ताल मेल नहीं तो सम्पूर्ण जीवन बहुत बार विषाद में निकल जाता है । पर यदि गुरूजनों का संग हो, उनका ज्ञान हमारे साथ जुड़ जाए, तो वह विषाद प्रसाद बन जाता है ! क्योंकि उनके श्री चरणों में बैठ कर पता चलता है कि हम तो ऋण चुकाने आए हैं, असली संबंध तो हमारा केवल परमात्मा से है, बाकि संबंध तो केवल पल भर के हैं, केवल कर्तव्य निभाने हेतु ! सच्चा प्रेम, दिव्य प्रेम संसार के पास नहीं वह तो परमात्मा व गुरूजनों के पास है !
यह सकारात्मक सोच आम मानव को नहीं आ सकती ! वह यहाँ तक तो अवश्य पहुँच सकता है अपने जीवन के अनुभवों से कि कोई अपना नहीं , पर यह जानना कि कौन सबसे ज्यादा अपना सुहृद है , यह तो केवल गुरूजनों से ही पता चल सकता है !!
सबके जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं, सुख दुख आते हैं, और पूज्य गुरूदेव कहते हैं कि दुख ज्यादा प्रतीत होते हैं , पर उनका सामना कैसे करें, कैसे अंधकारमय रात्रियाँ में सकारात्मक रहें, यह तो परमेश्वर कृपा से ही सम्भव है !
प्रभु व गुरूजनों का स्पर्श एक ऐसा अनुभव है जो कि साधारण मानव समझ नहीं सकता ! दिव्य प्रेम की सोच व समझ ऐसी विलक्ष्ण कृपा है जो गुरूजनों के बिना मिलनी सम्भव ही नहीं हो सकती! क्यों ? क्योंकि बिन कारण , बिना स्वार्थ, बिना किसी प्रयोजन कौन किसी से प्रेम करता है, कौन किसी का ध्यान रखता है ! यह केवल गुरूजन की कृपा से ही उपलब्ध हो सकती है ! मेरे रााााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽम !!
सो जो अनुभव जीवन हमें देता है, गुरूजनों की शिक्षा से उसी अनुभव से ज्ञान विकसित हो जाता है, जो कि सम्पूर्ण रूप से सकारात्मक होना सम्भव है !
श्री श्री चरणों में 🙏