बिन कारण अपने आप से प्रेम करें

Nov 26, 2017

आज का सुविचार

अपने आप से अकारण प्यार करें

आज सुबह से यह विचार मन में चल रहा है । क्या है अकारण प्यार और अपने आप से कैसे करें और इससे क्या होगा ?

बिन कारण प्यार ! हम तो संसारी हैं और हम तो हर चीज किसी कारण से करते हैं । हमें कोई पसंद है क्योंकि वह हमारा ध्यान रखता है। हम प्रभु की पूजा करते हैं कि वे हमारी रक्षा करें या जीवन अच्छे से चलता रहे ! पर बिन कारण प्रेम ! सोचना कठिन हो जाता है !

संतगण कहते हैं कि हम जिससे आए हैं वह प्रेम है । जिस तरह एक संतरे की फड़ी संतरा उसी तरह प्रेम का अंशी प्रेम ! यूँ ही । बस प्रेम !

कल एक संगीत समारोह में जाने का अवसर मिला । आर डी बर्मन के गीत चल रहे थे तो कभी कोई ताली मारे , कोई साथ साथ साथ झूमे कोई नाचे भी पर अधिकतम लोग सीधे बैठे । न हिले न मुस्कुराइए । बस सीधे बैठे ! हो सकता है भीतर हिल रहे हों !!! संगीत , जो की बहुत आसानी से प्रेममयी तरंगें पैदा कर देता है वह कई जगह छू भी न सका !

सो कैसे करें अपने से अकारण प्यार ? अपने आपको जैसे हैं वैसे स्वीकार कर बिना पसंद व न पसंद किए ! बिना अपने आप पर अनुमान लगाए स्वयं से प्रेम करना ! पर हम ऐसा बहुत करते हैं ! मुझे यह पसंद है तो खुश यह न पसंद है तो न खुश । यह मिला तो खुश यह न मिला तो न खुश । यह किया तो खुश यह न किया तो न खुश !

अपने से बिन कारण प्रेम !

जैसे हैं बहुत प्यारे हैं । जो है वह बहुत प्यारा है !

क्या होगा इससे ? हम दूसरों से अकारण प्रेम कर सकेंगे ! मेरी बुद्धि ऐसी है मेरे संगीकी बुद्धि ऐसी नहीं सो प्रेम नहीं जागृत होता ! क्या हुआ ? बुद्धि आ गई बीच में ! और पसंद न पसंद ले आई ! दूसरा जैसा है उसे स्वीकारा नहीं !

सो दूसरों के साथ अकारण प्रेम कर सकें , साधक हैं, यही सिखाया जाता है , उसके लिए स्वयं से प्रेम करना आवश्यक है !

गुरूजन कृपा करें कि आगे हमें नुसके सिखाएँ कि हम अपने आप से कैसे प्यार कर सकते हैं !

आज हम सब अपने आप से बिन कारण प्यार करें !सब पर कृपा बरसे !

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