स्वयं को बदलने से बाहर बदलाव सम्भव है

Jan 27, 2018

स्वयं को बदलेंगे तो राष्ट्रीय व संसार भर में भी बदलाव ला सकते हैं

कल एक बहुत ही अच्छा लेख पढने को मिला। अंग्रेज़ी में था, Thoughtscape Ram Naam जो गुरूजनों की प्रिय साधिका आदरणीय डॉ प्रिया सरीन द्वारा संचालित है, उन द्वारा लिखा गया था ।

सार जो स्मरण रहा वह था भ्रष्टाचार पर । कि देश भक्ति केवल पोस्ट आगे भेज कर नहीं बल्कि देश के लिए कुछ करके सम्भव होती है। और उनका मुद्दा था भ्रष्टाचार ।

वह आज फिर स्मरण हो आया तो लगा कि गुरूजन कुछ मुझे सिखाना चाह रहे हैं। परम पूज्यश्री महाराजश्री ने भी भ्रष्टाचार पर बहुत सुंदर प्रवचन कहे हैं।

गुरूजनो के अनुसार हमें स्वयं वह गुण अपने में सम्पूर्ण रूप से विकसित करना है जो हम बाहर देखना चाहते हैं। हम चाहते हैं हर जगह प्रेम हो तो स्वयं प्रेम बन जाना होता है। हम चाहते हैं सब में ज्ञान आ जाए तो हमें अपने में ज्ञान अर्जित करना होता है। हम चाहते हैं कि सब आरोग्य हो जाएँ तो हमें स्वयं सम्पूर्ण रूप से आरोग्य होना है। हम चाहते हैं देश से गंदगी हट जाए तो हमें स्वयं सम्पूर्ण रुप से साफ होना आवश्यक है। मन व चित् की गहराइओं तक !

मैं आज सैर पर निकली बहुत महीनों बाद, मौसम कुछ खुला था। यहां सदा सफाई रहती है। कोई सफाई कर्मचारी नहीं आते सड़कों की सफाई करने क्योकि सब स्वय सफाई का ध्यान रखते हैं। एक ६० वर्ष की होंगी लगभग महिला । वे रास्ते से छोटे छोटे क़ागज के टुकड़े जो आम आदमी को दिखें भी न उठारही थी । मुझे मौक़ा मिला तो मैंने उनके इस कार्य की तारीफ़ की कि आप कितना सुंदर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मुझे अच्छा नहीं लगता कि मैं जहां रह रही हूँ कुछ एक क़ागज भी दिखे ! सो मैं उठाती रहती हूँ !

सो स्वयं हमें वह बन जाना है जो हम देखना चाहते हैं ! फिर दिव्यता अभियान आरम्भ करवा देती है , एक क्रान्ति बन जाति है वह अभिमान !

सो देश में क्रान्ति के लिए समाज में क्रान्ति के लिए संसार मे क्रान्ति के लिए परिवार में क्रान्ति के लिए स्वयं में क्रान्ति लानी आवश्यक है !

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