March 26, 2018
![](https://ramupasana.wordpress.com/wp-content/uploads/2018/03/img_6337.jpg?w=604)
आज किसी साधकजी ने परम पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री के बारे में बताने के लिए अनुरोध किया । उन्हें देखा तो नहीं पर जो सुना है वह संक्षेप में श्री चरणों में …..
पूज्य प्रेम जी महाराजश्री बचपन से हनुमान चालीसा पढ़नी बहुत पसंद करते । वे एक सम्पन्न परिवार से थे ।
उन्होंने इंजीनियर की पढाई की ।
वे योगा करते थे और परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री को वे ऐसे समागम में मिले ।
वे बहुत ही शान्त प्रवृति के थे और कम बोलते थे । उन में सेवा भाव आरम्भ से ही था । उनका परिवार बँटवारे के समय हवाई जहाज से भारत आया । तब भी उनके हाथ बाल्टी थी जिससे शरणार्थियों को पानी वे पिलाते जा रहे थे ।
जब भी वे पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री को प्रणाम करते तो पूज्य स्वामीजी महाराजश्री अपनी जुराबें इत्यादि उतार देते । इस पर बाकि साधक एक बार बोले भी तो पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्रि ने कहा कि आप नहीं जानते यह कौन हैं ।
साधना सत्संग में पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री साधकों की मालिश करना पसंद करते । वे अपना तेल साथ रखते ।
रात रात भर वे कितने घण्टे पूज्यश्रि स्वामीजी महाराजश्री के कमरे के बाहर प्रणाम की मुद्रा में पाए जाते ।
पूज्य स्वामीजी महाराजश्री अपने कमरे में अकेले भोजन करना पसंद करते थे । और कभी न जूठन छोड़ते न कुछ ऐसे देते । एक बार उन्होंने पूज्यश्री प्रेमजी महाराजश्री को केला भेंट में दिया । तब पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री वह प्रसाद छिलके समेत खा गए ।
पूज्य श्री प्रेम जी महाराजश्री की प्रार्थनाओं में बहुत बल था । यदि किसी की प्रार्थना न करनी होती तो उन्हें आवाज़ आ जाती कि नहीं ।
पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री एक आदर्श शिष्य थे । उन्होंने आजीवन पूज्य स्वामीजी महाराजश्री के आदेशों को अक्षराक्षर माना ।
वे साइकल पर आते जाते । वे अपनी सारी तनख़्वाह श्रीरामशरणम को दे देते । पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री कहते कि कुछ घर भेजा करो व कुछ अपने ख़र्च के लिए । वे अपने पास इतना भी नहीं रखते थे जिससे कि साइकल का पंचर लगाया जा सके !!
पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री के ग्रंथों के साथ मदद पूज्यश्री प्रेमजी महाराजश्री ही किया करते ।
पूज्य स्वामीजी के अंतिम समय में भी वे उनके साथ थे । स्वामीजी महाराजश्री को उन्हें कहना पड़ा था कि अब जाने दे न ! अंतिम घड़ियों में पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री ने उन्हें निकट बुला कर उनके कान में कहा था । जिसे शायद शक्ति देना कहा जाता है ।
पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री को पूज्य स्वामीजीमहाराजश्री ने होमिओपैथिक पढ़ने को कहा । और फिर उन्होंने मुफ़्त में दवाई भी देनी आरम्भ की ।
गुरू के रूप में वे बहुत ही सीधे थे । वे पैंट शर्ट ही पहनते । या फिर सफ़ेद कुर्ता पजामा ।
उनकी आँखों में बहुत ही तेज़ था । और अथाह प्रेम । उनके साधक उनके अथाह प्रेम को भुला नहीं सकते , वह बिन कहे इतना प्रभाव शाली था ।
बहुत से असाध्य रोग वे केवल दृष्टि से ठीक कर देते या फिर हाथ लगा कर।
एक बार वे दीक्षा दे रहे थे और कुछ बच्चे भी थे दीक्षामें । आँख बंद करने को कहा । पर एक बच्चा बहुत नटखट। उसने आँख खोली तो वहाँ भगवान शेषनाग को पाया !!!
बहुत से साधकों ने अपना बचपन पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री के सानिध्य में गुज़ारा । उन्होंने बहुत आनन्द लूटा ।
पूज्यश्री प्रेम जी महाराज धीरे धीरे प्रवचनों में स्वामीजी महाराज श्री का नाम लेते ही अति भाव विभोर हो जाते। धीरे धीरे वे और मौन होते गए और प्रवचनों में केवल ” राम राम जपा कीजिए ” या ” गीता जी का पाठ किया कीजिए” बस इतना ही कहते ।
बहुत से चमत्कार के साक्षी हैं साधक ।
एक बार हरिद्वार साधना सत्संग के दौरान गंगा जी का पानी बहुत बड़ गया था । जब सैर करने निकले सभी तो पुलीस नील धारा नहीं जाने दे रही थी । पूज्य प्रेम जी महाराज ने गंगा जी की ओर देखा और वे चलते गए । रुके नहीं । गंगा जी का प्रवाह व पानी धीरे धीरे घटने लगा और कुछ समय पश्चात नीचे हो गया !
पूज्यश्री डॉ विश्वामित्र जी महाराजश्री उनके बहुत प्यारे शिष्य रहे । वे अपना स्नेह बहुत खुल कर उनके साथ व्यक्त करते थे ।
पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री अनेकों बार पूज्य डॉ महाराजश्री को किसी साधक को बुलाने को कहते । बिना पता दिए। और महाराजश्री बिना पता जाने सही पते पर सदा पहुँच जाते ।
जरूरत के समय अज्ञात रूप से अनाज की बोरी, पैसों की बोरी साधकों के पास पाई जाती ।
एक बार पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराजश्री किसी सिलसिले में एक परिवार से मिले । उन्होंने कहा कि मेरे गुरूदेव यहाँ आए हुए हैं , आप आइएगा ।
पर वे न गए । फिर से कहने पर दम्पति बिना मन के आए सत्संग में । उन महिला ने जब पूज्य प्रेम जी महाराजश्री को देखा तो वे अचेत हो गई !! होश आने पर बताया कि वे उनके सपनों में आ रहे थे कुछ दिनों से । और आज जब देखा तो भगवान नारायण को साक्षात बैठे पाया !! वे नारायण की उपासक थी !!
इसी तरह एक बार दीक्षा के समय एक साधक के मन में आया कि यह पैंट शर्ट वाले गुरू हैं ! माला देने के पश्चात जब पूज्य प्रेमजी महाराजश्री आगे गए तो उन साधक को पूज्य प्रेम जी महाराजश्री के सारे शरीर में अनन्त राम नाम के दर्शन हुए !!
पूज्य प्रेम जी महाराजश्री सपनों में आकर भी दीक्षा दे देते थे !
पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री ने साधकों के रोग स्वयं पर लेने आरम्भ कर दिए । वे साधकों के सपनों में भी आते व मार्ग दर्शन करते थे ।
उनको Parkinson’s की बीमारी हो गई जिससे उनका चलना बंद हो गया । पर वे अपने व्यक्तिगत कार्य स्वयं कर पाते थे ।
वे अपने अंतिम दिन सत्संग में नाचे थे !!
वे आज भी अपने शरीर छोड़ने के कितने वर्षों पश्चात भी साधकों पर सूक्ष्म रूप से कृपा बरसाते हैं ।
यह सब सुनी सुनाई बातें हैं । पूज्य गुरूवर का अतिश्य धन्यवाद कि आज उन्होंने कृपा बरसाई और अपने बारे में बातचीत करवाई ।
चिर ऋणी 🙏🙏🙏