अहम् की भेंट

March 25, 2018

आज का चिन्तन

आज परम पूज्यश्री महर्षि स्वामी डॉ विश्वामित्र जी ने कहा कि परमेश्वर को प्रशाद, फल फूल , सामग्री अर्पण तरना गौण है। उसे तो अहम् पसंद है। सबसे उच्च भेंट परमेश्वर को अहम् की भेंट ही पसंद है !

राम नाम होते हुए , सबसे उच्च देव के होते हुए भी हम देवी देवताओं की पूजा करते हैं, जबकि गुरूजन कहते हैं कि राम नाम में ही सब देव विराजमान हैं ! पर सबकी अपनी श्रद्धा ! परमेश्वर व गुरूजन इतने दयालु होते हैं कि हर तरह की पूजा व अर्चना व भाव स्वीकार करते हैं !

पर बात आती है कि परमेश्वर व गुरूजनों को क्या पसंद है! वे बेचारे तो प्रेम से अर्पित किया गया रूखा सूखा बेस्वादा भी स्वीकार कर लेते हैं किन्तु बात आती है उनके पसंद की !

अहम् का भोग ही उन्हें सर्वप्रिय है ! वे बहुत आनन्द पूर्वक उसका भोग स्वीकार करेंगे ! हर उत्सव पर अहम् की भेंट यदि दें तो !!

पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि इसकी तैयारी करनी है ! अहम् को भेंट करने की तैयारी ?? क्या तात्पर्य होगा इसका? मेरा अपना कुछ नहीं ! मेरी मैं भी कुछ नहीं ! अपना कुछ भी नहीं ! जो तुझे रीझे ! जो तुझे भाए ! तेरी रजा में मैं खुश ! इन भावों को स्वयं में बसाकर अहम् का त्याग !

यही अर्पण हमें करते जाना है हर उत्सव पर , हर विशेष दिन , हर रोज, ताकि वे देवाधिदेव प्यारों से प्यारे रीझें और हमारा समर्पण सम्पूर्ण हो व जीवन सफल बने !

शुभ व मंगल कामनाएं

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