हर परिस्थिति को सुअवसर मानें

March 26, 2018

आज का चिन्तन

जब हम नई जगह काम पर लगते हैं या विवाह करके नए घर जाते हैं, क्यो हमें भय लगता है ? क्या कारण है कि इतनी प्रगाढ इच्छा के बाद जब इच्छा पूर्ण होती है तो हमें या तो भय

लगता है या हम adjust नहीं कर पाते और खीज कर निकलने की सोचने लग जाते हैं । राममय साधना हमें यहां क्या सिखाने का प्रयास कर रही होती है ?

सबसे पहले धैर्य । कोई भी नया कार्य एक दम नहीं आता । उसके लिए धैर्य की आवश्यकता होती है । चाहे नई नौकरी या नया परिवार । सो राम नाम से शक्ति की सतत प्रार्थना करनी होती है कि भगवन आपश्री ने इतनी कृपा की है कृपया मुझे शक्ति दीजिए कि मैं धैर्य से हर चीज सीखूँ !

दूसरी बात झुकना ! नई चीज सीखने के लिए झुकना पड़ेगा । दूसरे से पूछना पड़ेगा । कभी सहायता मिलेगी , कभी नहीं । पर आत्मविश्वास रखते हुए कि मेरे भीतर जो विराट शक्ति के स्रोत हैं उनके पास हर समस्या का हल है, मुझे वे हर समस्या का हल स्वयं प्रदान करेंगे जब मैं भीतर संयु्कत हो जाऊंगी/ जाऊँगा तो !

जब नए परिवार में मन नहीं मिलते तो हम दूसरों को नीचा समझने लगते हैं। हमें दूसरों में कोई गुण नहीं दिखता । हमें दूसरों की हर बात बेकार लगती है !

यहां पर हमें फिर से झुकने की आवश्यकता है और प्रार्थना की कि हे परमेश्वर मुझे दूसरों में गुण दिखें !

हर कार्य क्रोध व पलायन करने से सुलझता नहीं। तरकीबें भी लगाई जा सकती हैं। जैसे कि एक माँ ने अपने ३ वर्ष के बच्चे को डाँटा जब उसने रंग करते समय क़ालीन पर रंग गेर दिए ! पर अगली बार उसने ऐसी जगह बच्चे को बिठाया व नीचे कपड़ा बिछाया ताकि बच्चा यदि दंगा करे तो परेशानी न होवे ! सो यदि हम हर समय परिवार के सदस्यों से नहीं बात कर सकते तो हम छुट्टी के दिन बातबात कर सकते हैं ! हर समस्या को रचनात्मक ढंग से सुलझाया जा सकता है ।

हम अशान्ति व भय के भाव में तभी आते हैं जब हम अपने असली स्वरूप को भूल जाते हैं और मन में आकर बैठ जाते हैं ! जब हम बार बार अपने हृदय पर जाना आरम्भ करते हैं , बार बार स्वयं को यह स्मरण करवाना है कि मैं अपनी सबसे प्रिय मित्र हूँ , मैं प्रेममय हूँ , शक्ति का भण्डार हूँ और मेरे अंदर हर समस्या का समाधान है , तो हम तत्काल शान्ति को प्राप्त होते हैं ! हर परिस्थिति को बेहतर होने के लिए सुअवसर मानें !

करके देखिए !

शुभ व मंगल कामनाएं

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