आसक्ति का नशा

April 29, 2018

कितनी प्रार्थनाएँ आती कि घर पर पति या बच्चे आदर नहीं करते या बुरा व्यवहार करते हैं पर महिलाएँ चाह कर भी अलग नहीं हो सकती । प्रारब्ध ही इसका उत्तर मिला और कहीं न कहीं पीडा सहते रहने पर आसक्ति ।

जीवन में केवल उन लोगों से अथाह आसक्ति हुई जो परमेश्वर से रंगे हुए थे ! नशे की तरह थी ऐसी आसक्ति ! प्रभु सदा सदा सहायक रहे। परम पूज्यश्री महाराजश्री ने इस वेग को बहुत कस के रखा ! और अथाह कृपा बरसाई कि वे मुझे भीतर मिलने आरम्भ हुए । सो उनके परिनिर्वाण के पश्चात वे कहीं गए ही नहीं थे ।

पर वह बीज सूख कर भुना न था ।

आज यह पूर्ण रूप से महसूस कर सकती हूँ कि कैसे महिलाएँ इतना अपमान तिरस्कार इत्यादि इत्यादि सहती है, पर फिर भी वापिस आसक्ति के कारण अपना स्पेन देती रहती हैं और बीमार हो जाती हैं! आसक्ति का नशा, यह आज परम आदरणीय डॉ चैटर्जी ने अनावरण किया। ! ” नहीं ” कहा नहीं जाता ! आत्मसम्मान रखा नहीं जाता !

यह केवल हाल महिलाओं का नहीं बुज़ुर्गों का भी है। बच्चों से अथाह मोह सैकड़ों बार अपमानित करवाता है पर फिर भी बार बार जाते हैं उसी द्वारा ।

गुरू भी अपनी देह से आसक्ति छूटे तो कई बार अपमान, तिरस्कार का उपयोग करते हैं। पर वहाँ साधक टूटता नहीं है उनके कृपा रूपी प्रहार से बल्कि नशा टूटता है ! जब नशा टूटता है तो उसके साथ जो अन्य मल एकत्रित हो गया होता है वह भी निकल जाता है !

परमेश्वर कृपा करें कि आसक्ति का बीज भुन जाए और कभी किसी जन्म में किसी देह से आसक्ति न होवे !

आसक्ति है वह भी गुरू से , यह केवल गुरू ही दिखा सकते हैं ! तत्व रूप से , राम से अनुराग अनिवार्य है! वही भीतर की यात्रा सफल बनाता है।

हर शब्द आपसे ही है व आपही के श्री चरणों में

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