कैसे चयन करे ?

April 29, 2018

आज की चिन्तन

दोराहा – कैसे चयन करें ?

आज कुछ पलों के लिए live आई । आने से पहले यह कितनी बार सोचा कि ” मन के खेल हैं ” तुम्हें पसंद है तभी तुम जा रही हो । बीते कल पर गई । कोई कह कर रहा था आप आइए न , तो कहा था कि नहीं मुझे अनुमति नहीं है आने की । फिर एक साधक जी भी बोले कि हम मन की अधिक करते हैं। इन सब बातों को भीतर सुना और और पीछे गई कि हिन्दी के लिए तो ऐसे ही एकाएक सदा लेकर आए हैं । और वह पंक्ति भी कि ” जिस काम से दूसरे का भला हो वह कर दो ” । सो दूसरे का चयन किया ।

कैसे पता चले कि मन की थी या गुरूजनों की अनुमति ?

यक़ीनन मन का खेल हो सकता है इसमें दो राहें नहीं ।

पर अपने लिए कुछ नहीं ।

तो जब भी दोराहे पर हों और यह देखना पड़े कि यह मार्ग लूँ या दूसरा … तो जिसमें स्वार्थ न हो जिसमें अपना निजी लोभ लालच न हो, किसी का नुक़सान न हो इत्यादि , वह कर देना चाहिए । क्योंकि आपमें भी तो दिव्यता बहती है ! न जाने उन पाँच या दस लोग जो आए और जिन्होंने सुना, उनके लिए हो ! कि मुझे अच्छा काम करते जाना है । चाहे मैं अकेला हूँ पर जहां हूँ अच्छे काम करते जाना है , सकारात्मकता फैलाते जाना है।

और यदि फिर भी लगे कि कहीं अपने मन की तो न थी , तो अपने सद्गुरू महाराज से कह दीजिए , मुझे पता नहीं यह मेरी इच्छा है या आपकी, पर क्योंकि मैं आपकी गोद में हूँ सो हर इच्छा के मालिक आप !

सर्व श्री श्री चरणों में

शरणागत जन जानकर मंगल करिए दान

नमो नम: जय राम हो मंगल दया निधान

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