चयन

April 29, 2018

चयन

आज कृपामय दिन था और अनेक गहन सरल सीधे राम नाम के रसिक साधकों से मिलाकर गुरूजनों ने कृपा बरसाई ।

परम पूज्यश्री महाराजश्री सबको साथ लेकर चलने वाले संत महर्षि व गुरूदेव रहे हैं । मैं मेरे को सदा त्याग कर तू तेरा को लेकर चलने वाले ।

जहां मैं और मेरा हावि हो जाता है चाहे मेरा सत्संग, मेरा श्रीरामशरणम् , मेरी जाति, मेरे गुरू के लोग, मेरी सोच, मेरा यश, मेरा संकीर्तन, मेरे पोस्ट, मेरे विडियो, मेरी बातचीत, मेरे जान पहचान के साधक, मेरे भजन व अन्य भेद भाव, इत्यादि इत्यादि , वहां सूखा यश तो मिल जाता है किन्तु गुरूजन नहीं मिलते । यह यक़ीनन है ।

गुरूजन व उनका दिव्य प्रेम वहीं मिलता है जहां साधक के मन मे सबको साथ लेकर चलने की नियत हो। अपना पीछे रखकर दूसरों को आगे बढने व आगे निकलने का मौक़ा दे। दूसरों के राह साफ कर , दूसरों का मार्ग आसान बनाएँ । यहां मिलते हैं गुरूजन, यहां रहते है गुरूजन यहां अथाह प्रेम लुटाते हैं गुरूजन। और यहां बसता है निस्वार्थ प्रेम ।

जहां मन में दरार लाई जाए, जहां हृदयों में तोड़ फोड़ की जाए , जहां गलत बातें फैलाई जाएं वहां बेशक राम नाम की ओढ़नी हो किन्तु दिव्यता प्रदान करने वाले स्वामी वे देवाधिदेव नहीं मिलते । वहां भ्रम व माया दृष्टि व सोच धुंधली कर देती हैं।

सो जहां मिल कर चलने की बात हो वह ही सही सत्संग । वहां हैसकारात्मकता । वहां हैं गुरूजन । गुरूजन वसुदैव कुटुम्कम में विश्वास करते हैं। विश्व का हर बच्चा उनका साधक है ।

चयन हमारे हाथ में है कि हमने वहां जाना है जहां मिलकर चलने को कहा जाता है सा जहां हृदयों में तोड फोड़ का बीज डाला जाता है । चयन हमने करना है कि हमने गुरूजन का हर कार्य है मेरा नहीं उसका नहीं इसका नहीं करके चलना है !

गुरूजन के चिरऋणी में कि वे ऐसे पुण्य आत्माओ के श्री चरणों में लेकर गए जहां मेरे जैसे नलायक पर भी कृपा बरसी ।

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