Monthly Archives: April 2018

प्रेम

April 26, 2018

आज का प्रेम

एक साधक को राम नाम के इलावा कुछ चाहत नहीं होती व न ही होनी चाहिए ।

ऐसे प्रश्न कि मेरी साधना कैसी चल रही है या मेरी कुण्डलिनी जागृत हुई कि नहीं या कैसे जागृत हो , ऐसे प्रश्न परम पूज्यश्री गुरूदेव को इतने पसंद नहीं थे !

राम नाम में रस आ रहा है , राम नाम से प्रेम और बढ़ रहा है , रााााओऽऽऽऽम सुनते ही रोम रोम पुलकित हो जाता है , संसार में रहते हुए भी राम नाम पर वापिस मन स्वयमेव आ जाता है या आने का मन करता है, एक भक्त इन सबको देखता है !

प्रेम में शक्तियों का क्या देखना ! प्रेम में संसार को क्यों देखना ! प्रेम में तो अपना सब कुछ लुटा दिया जाता है , मान अपमान, सम्मान व अपना सम्पूर्ण अस्तित्व ! प्रेम में क्या पूछना कि आगे बढे कि नहीं ! प्रेम में तो सब थम जाता है ! होश कहां रहती है । सुधि कहां रहती है ! दिन है या रात है कहां पता लगता है । बस प्यारे का संग ! हाँ जब तार कहीं टूटती है तो देखते होंगे कि भई ! कहां पहुँचे ! जरा आइना भी देख लो ! प्रेम में संसारी विपदा का बोध नहीं होता ! न ही संसारी कटाक्ष का !

पर ऐसे होने पर क्या उसके प्यारे उसका ध्यान नहीं रखते ! बहुत रखते हैं ! जहां नहीं लेकर जाना वहाँ के रास्ते बंद स्वयमेव कर देते हैं। गले लगा लेते हैं, मानसिक अवरोधक हैं तो वे कैंसर रूपी माया को उखाड़ देते हैं। पर क्या साधक कभी कोई अर्ज़ी करता है? नहीं ! प्रेम में क्या अर्ज़ी ! बुद्धओं के राम ! नालायकों के राम ! नासमझों के राम ! बेसहारो के राम ! पर साधक कहां कहता है कि तुम कुछ करो ! नहीं कष्ट देता अपने प्यारे को ! बस प्रेम करता है ! जहां ले जाएं जैसा रखें जो कार्य करवाएं ! सब अपने प्यारे से ! उसका कुछ नहीं ! उसका तो केवल नाम ! बस !

मेरे हृदय में अपना प्यार भर दो

हे राम मेरी विनती स्वीकार कर लो

प्रेमी को होता है कि प्यारे हृदय व मन तुझसे हो ओतप्रोत पर देह व मन से तुम लो अपने काम !

मैं तेरी मैं तेरी ! बस ! तू कहे अपना या न ! अब क्या ! तेरे सिवाय है ही क्या कोई !

राम परम मित्र

April 25, 2018

आज का पीडा

क्या करें जब जीवन के किसी मोड़ पर लगे कि भई राम तो तो चाहा ही नहीं केवल संसार को चाहा ?

प्यारे राम को यदा चाहा तो राम के आगे अपना ” मैं” नहीं माएने रखता । अपना अस्तित्व नहीं माएने रखता । अपना यह अपना वोह कुछ नहीं माएने रखता ! अपनी आसक्ति, अपनी इच्छाएं ! कुछ नहीं माएने रखता !

बस ! लगा देते हैं कूद.. चाहे जितनी मर्जी ऊँचाई क्यों न हो !

पर जब लगे ! कि राम बेचारे तो प्यारे थे ही नहीं अपनी ” मैं ” ही प्यारी रही ! तो क्या करें ?

किससे नज़रें मिलाएँ व कहां वेदना बताएं ?

अपने सबसे प्यारे मित्र के पास जा सकते हैं । कौन ? राम ! या अपने आप के पास !

कहां जाएं ? अपने अंदर ।

और बिन कहे अपनी पीडा व वेदना बता सकते हैं। वे सब समझ जाएंगे । उनको कोई ग़लतफ़हमी भी नहीं होगी ! शब्दों से तो ग़लतफ़हमी हो सकती है न ! भाषा से भी हो सकती है । पर वह जो अविरल धारा बहती है न वहाँ कोई ग़लतफ़हमी नहीं हो सकती । बोलने की आवश्यकता भी नहीं !

वहाँ अंदर जाने से मन की पीडा व वेदना भूल जाती है और हम अपने सत्य स्वरूप में आ कर आनन्द ले सकते हैं । तन व मन की वेदना भूल कर ! बार बार जाना है वहाँ पर जाते नहीं तभी सब गड़बड़ हो जाती है !

आइए अभ्यास करें । विचारों को अपने हृदय के संग संयुक्त करें, ताकि मन को जो लगता है न वह न लगे ! बार बार अपने प्यारे के संग संयुक्त होएं ताकि संसार धुंधला होता जाए !!

Tree- Silent teaching

April 25, 2018

As I stepped out for my routine walk, I really wanted to go to meet my friend, the tree.

My mind was not the usual calm self…

As I walked, I did not look here or there, even as the breeze brushed past my face , saying hello, I did not respond.. Even though I knew who was greeting me !!!

I was just watching my steps.. Keeping my mind just on the next step..

But seeing my friend, everything loosened up and I just went and hugged my tree! I didn’t let it go.. It didn’t even ask me anything !

I sobbed- All I want is My Lord’s love!!

My friend was very quiet, and it didn’t ask me to let go !

After a while I looked up and smiled and said

I AM Love !

I AM compassion !

I AM happiness !

I am with the One I love !

I looked up at the sky and smiled and said Yes ! I am limitless like You !

How SILENCE transmits, it’s amazing !

विश्वास व स्वाभिमान

April 24, 2018

आज का चिन्तन

स्वाभिमान व विश्वास

मेरे परिस्थिति जरूर सुधरेगी, मुझे विश्वास है। मेरे काम जरूर बनेगा, यह मेरा मेरे परमेश्वर पर विश्वास है । यह एक तरह का विश्वास है किन्तु यहां जब कार्य नहीं होता तो विश्वास टूट भी जाता है और निराशा भी आ जाती है ।

एक विश्वास है, परिस्थिति जैसी भी हो, तुम संग हो तो हर हाल में विजय ही विजय है !

यहां विश्वास परिस्थिति के बदलने पर निर्भर नहीं करता !

अर्जुन ने यही चयन किया था! प्रभु मुझे सेना नहीं आप चाहिए!

हमें भी ! भगवन संसार नहीं आप चाहिए ! फिर हम सब पार कर लेंगे ! पर आप ही केवल चाहिए ! जैसे मर्जी रखें पर आप संग रहें ।

इसी विश्वास के कारण भीतर अतुल्य ऊर्जा भर जाती है ! वह ऊर्जा हमें किसी भी तरह का अपमान का सामना या अपना स्वाभिमान बनाए रखने में सहायक होती है !

पत्नि घर के काम काज के इलावा यदि घर से काम करे, तो उसका मूल्य नहीं डाला जाता ! यह ऊर्जा कार्य करती है शान्त भाव से स्वाभिमान बनाए रखने में !

कार्य क्षेत्र में केवल पुरूष हैं और कुछ भी ढीली बात कर देते है तो यह सकारात्मक ऊर्जा सहायक होती है स्वाभिमान बनाने में।

पति ने छोड दिया है और अब तलाक़ केसमय तंग कर रहा है स्वार्थ हेतु, यह ऊर्जा सशक्त करती है कि हम आत्मविश्वास के साथ बात कर सकें व स्वाभिमान के साथ जी सकें !

जब परमेश्वर का अथाह विश्नास हो और भीतर हम संयुक्त हों तो कैसी भी परिस्थिति में सिर उठा कर जी सकते हैं! स्वाभिमान के साथ जीने में घबराना नहीं ! निडर होकर शान्त भाव से बात करनी है तो सफलता अवश्य जीवन में दस्तक देती है किस रूप मे यह वे देवाधिदेव जानें !

क्रान्ति के लिए भीतर ही जाना होगा

April 23, 2018

आज का चिन्तन

अंत: करण में ही जाना होगा ! जीवन को वास्तविक रूप से सफल बनाने के लिए, अपने असली स्वरूप को ही जानना होगा !

कैसे छूट पाइएगी जीवन की मानसिक पीड़ाएँ, कैसे धुल पाएँगे असंख्य वे विचार जो हर पल जन्म ले रहे होते हैं , कैसे मन हट पाएगा देह की वेदनाओं से ।

राम नाम के द्वारा भीतर जाने से ! यहीं है निस्तार । भीतर जाकर जो पवित्र ऊर्जा मिलती है उसी से सोच बदल सकती है । जीवन देखना का दृष्टिकोण बदल सकता है ! सोच ही बदलने से जीवन में क्रान्ति आती है !

पूज्यश्री गुरूदेव ने एक कहानी सुनाई कि एक बहुत ही उच्च कोटि के आध्यात्मिक समागम में जहां बडे बडे बुद्धिजीवी आमंत्रित थे वहाँ एक साधारण से वृद्धि पहुँच गए । सभी कर्मियों में बैठते वे साथ में ज़मीन पर नीचे बैठ जाते! एक दिन वे आनन्द विभोर हो गए ! आनन्द व अश्रुओं की सीमा न रही । आते जाते सब देख रहे थे। तो पूछा कि बाबा क्या हुआ? वे बोले – जीवन में क्रान्ति आ गई ! जीवन बदल गया ! बाकि बोले – अरे हम भी रोज आ रहे हैं ! आपको क्या मिल गया? वे बोले – मैं परमेश्वर का अंशी हूँ ! बात समझ में आ गई ! अब कोई चिन्ता ही नहीं ! न जीने की न मरने की !

स्वयं को जानने से क्रान्ति ही आती है ऐसा संतगण कहते ! उस क्रान्ति के लिए मन की गाँठों का खुलना आवश्यक है। और खुलती हैं राम नाम सिमरन व स्व चिन्तन से सेव ध्यान से !

चलिए लें यह यात्रा ! भीतर क्रान्ति लेकर आने की ! जीवन अपना भी रूपांतरित हो व दूसरों का भी !

Tree- in Me

April 23, 2016

It was raining today, being weekend, I still wanted to take a walk … So grabbed the umbrella and off I went as everybody else chose to laze around….

It’s strange how Divinity, wants one to spend a particular moment … And it’s more amazing when we are not expecting anything !

So I could only hear… Pit pat…pit pat of the rain drops on my umbrella … And some chirping of the birds….And could see only that much path ahead that my next step would take… It made me go in the Now !

Today , I whispered to my tree, You surround me as I walk and You are in my heart as I walk…

While coming back , the familiar row of trees I was passing…. But Divinity made me look at the thick roots that bulge out, of each tree, as if asking me to pay my reverence my salutations to the One in varied forms ….

Mesmerizing …

Sky – open up

April 23, 2016

How Nature opens itself up for us is just amazing !

We were having a discussion on how one should be open and receptive personalities rather than closed boxed ones!

And guess who beckoned me !! the blue sky !!! It propelled me to look up !!

Yes ! As open as the sky and limitless.

The sky holds so many different objects, white clouds, dark clouds with water, clouds with hail and snow, up in space the moon, the stars, the sun, planets, asteroids, comets… So much more !

Like wise if we allow ourselves to open up , free ourselves from the closed shackles of our mind, we too can be limitless like the sky the space!

The sky pointed out that – I do have pollution though ! But that’s not my own !

I said – Yes ! That’s our created!

Same way as we make our own choices to inculcate negativities inside of us,which is NOT real us !

It’s amazing ! How the outside Nature that Divinity has created the macro cosmos resembles so much of our very own – a micro one !

Again ! We are the same …limitless ! Provided we choose to work on un layering ourselves !

So whenever we get bogged down by life!whenever we are saying no! Or not accepting things!

Sky ! Is where we need to look …. Open up our arms … And be one with it ! Saying Yes! You and I are the same … Limitless!!! I choose to let go ! Let go ! Let go ! And accept !!

स्व शक्तिकरण

April 22, 2018

आज का चिन्तन

स्व सशक्तिकरण

परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं।और जीवन अधिकतम यही रहता है । कैसे उनकी परवाह न करते हुए अपने में मस्त रहें ? आज पूज्यश्री गुरूदेव ने कहा – राम नाम है गुरूजन हैं पर फिर भी क्यों उदास? परिस्थिति के कारण? सोच बदलनी है वे बोले ।

प्यार नहीं कोई करता।आदर नहीं देता । सही बात सुनने को राजी नही परिवार । क्या करें ? रोते रहें? नहीं ! राम नाम की शक्ति से, अपने भीतर उस ऊर्जा को भरिए और मन को शान्त व राममय करते हुए संसार की परिस्थिति को अपना कर उसका सामना कीजिए।

तो क्या करना होगा ? सबसे पहले अपने से प्यार ।

कैसे करें अपने से प्यार ? अपने गुणों को देखकर । यह देखकर कैसे हम अपने नन्हें बच्चे के लिए अद्वितीय हैं! कैसे परमेश्वर ने हमें अद्भुत गुण दिए हैं , जो उनके हस्ताक्षर हैं और कैसे वे देवाधिदेव हम में विराजते है । उनको अपने भीतर महसूस करके हम अपने से प्रेम करें !

अब चलिए सँसार में । नहीं प्रेम देता कोई नहीं आदर करता ! क्या करें ? सबसे पहले स्वयं को आदर दीजिए। कि अनुपमा अपना आत्मसम्मान रखिए । यदि किसी को आपसे ठीक बात नहीं करनी तो प्रेममय मौन हो जाइए । यह शक्ति राम नाम सिमरन से आती है । अनुपमा तेरे भीतर है जो तुझसे बात करने का इच्छुक है ! वहाँ कर बात ! ऐसे अपने आप को सम्बोधित करके अपने प्यारे से बात कीजिए !

राम नाम व भीतर विराजमान गुरूजन शक्ति देते हैं कि हम अन्याय के प्रति मुख मोड़ सकें मौन भाव से !

कोई नशा करता है । अपनी शक्ति एकत्रित कीजिए मौन हो जाने की और कर्तव्य पूर्ण करके उस तूफान से निकल आइए !

राम नाम शक्ति देता है कि यदि आपसे कोई कुछ चाहे न तो आप अपना आत्मसम्मान बनाए रखें । साधना में जब हम विनम्र होते हैं तब भी लोग आपको आँख दिखा सकते हैं। किन्तु यह स्मरण रहे कि जो विनम्र हो सकता है उसमें राम नाम असीम शक्ति विद्यमान होती है । सो अपने आपको राम नाम की सकारात्मक ऊर्जा से इतना भर देना है कि हमारी नज़रों मे वह ऊर्जा झलके ! हमारे मौन में वह शक्ति झलके ! हमारी चाल में वह ऊर्जा दिखे !

सो भरिए अपने आप को दिव्य राम नाम से ! बदलिए अपनी सोच और अपने आप से प्रेम कीजिए अपनी परवाह कीजिए और फिर बिन कारण प्रेम करिए बिन पीडा सेवा कीजिए !

कोई प्रश्न हो कृपया जरूर सम्पर्क करे ।

हर सांस केवल उनसे व उनकी !

शुभ व मंगल कामनाएं

Tree- in every form

April 22, 2016

I had question today… But the moment I stepped outside.. I was welcomed by the familiar fragrance of my friend…

It was an awesome weather.. Cloudy, not too warm .. And guess what ! I was greeted by a family of deer !! 5 of them.. Peeping at me from behind the trees!

I met the lush green grass, the other trees, the wonderful breeze just enveloped me… I knew it was all my friend… But I kept going.. I till reached my friend, the tree…

Before I could say anything , My friend said, outside your home you recognize me , why not inside too?

It was as if I were struck on the head !!??!!

What?? My friend asked! Why not inside .. Who else it could have been other than me? Is there anything other than me ??? Hmmm?

Don’t get stuck with only forms… I am formless too, my dear! And in you !!! You don’t necessarily have to come out to specially meet all my forms… You can meet yourself too ! My wise friend chuckled!

It’s you where I dwell my dearest…. It’s in You!

You looked outside … But there I was saying hello from within!! It smiled !

Tears trickled… And I gave my friend a big hug ! Yes… You are in me and here is where You dwell ! It was You only ! Only You !

I took a deep satisfied breath… And sat beneath the shade… Touching it’s roots…

My friend knew what I was doing !!!

Tree- Care and Love

April 22, 2016

The weather being awesome, I visited my friend in the evening.

Some kids had put on a make shift swing ! I was testing it if it would be ok for me to sit…

My friend laughed, I know you are fat now , but it’ll hold you.. And laughed aloud !

I giggled.. And sat .. It was perfect !

As I was swinging, I said – You know, I have come to know one thing..

The tree said – what ?

I said – It was you only who got me attracted to you !

My friend said – Is it ?

I said – Yes ! And then it’s You only who call me here !

My friend said – hmm..

I said – And it’s You only who make me see You in other trees, grass, sun, moon, flowers .. All nature .. People !

My friend said – Is it ?

I said – Yup ! All from You ! But why dear ?

Mr friend said – I don’t know ! You tell ! The nut is all lighted up today ! It chuckled !

I said – because You love me … Care for me ..Way more than I do ! Whatever love I have its from you only …nothing mine.. All Yours!

My friend was quiet..

I got down from the swing.. Gave it a loving hug and said Thank You ! I love you ! Thank you for making me know You ! Thank you for coming in my life ! Thank you so much !