ब्रह्म ज्ञान ( ७-८)

May 2, 2018

दया रूप वह देव दयाला, दिव्य रूप सुजन रखवाला ।

शून्य रूप वही है गाया , तेजोरूप कथन में आया ।।७।।

सभी ओर सब दिश में राजे, सभी लोक में एक विराजे।

देश काल से न्यारा सोहे, प्रिय रूप प्रेमी मन मोहे ।।८।।

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री

सर्व आपसे ओ सद्गुरू महाराज सर्व आपका

वे परमेश्वर दयामय है । दीन दयाला है । वह दिव्य है और सबसे निकटतम सुहृद है। बिन कारण संग देने वाला।बिन कारण रक्षा करने वाला ।

हर ओर हर दिशा हर देश में केवल वह ही विराजता है ।सभी लोकों का स्वामी केवल एक वह ही है । उसको देश व काल बाँध नहीं सकते । वह देश काल से पार है । एक वही इतना प्यारा है इतना प्रिय है कि ऐसा प्रीयतम कोई नहीं ! वह ऐसा प्रेमी है मन को अपनी ओर आकर्षित करके पूर्ण रूप सो मोहित कर लेता है । सुधि नहीं रहने देता ! बेसुध कर देता है । ऐसा प्रेमी जगत में कोई नहीं । केवल वह ही एक मात्र प्रेमी

है ।

रााााााओऽऽऽऽऽम

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