ब्रह्म ज्ञान ( ९-१०)

May 3, 2018

ऐसे हरि को मन से राधे, गुरू मुख से ले साधन साधे ।

वृत्ति नाम में खींच लगावे, सहज समाधि इसी से पावे।।९।।

अरणी मथन से अग्नि जैसे, जगे ध्यान से आत्मा तैसे ।

बारम्बार मन को टिकाना, अर्थ मर्म अभ्यास का माना ।।१०।।

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री

ओ सद्गुरू महाराज सब आपका सब आपसे

कैसे हरि को मन में बिठा कर आराधना है यह सब गुरू के श्रीमुख से ही विभिन्न साधन पता चलते हैं । हरि से प्रेम, हरि के पावन नाम को जपना, उसको ध्याना, अनेकों विधि केवल श्री गुरू के श्री मुख से ही मिल सकती है । नाम में अपना मन केंद्रित करके , सारी एकाग्रता से मन को परमेश्वर में खींच कर लगाने से सहज समाधि स्वयमेव ही प्राप्त हो जाती है । कोई भरसक प्रयास नहीं करना पडता ।

जिस तरह दो लकड़ियों को रगड़ने से अग्नि निकलती है उसी तरह ध्यान द्वारा आत्मा जगती है । बार बार मन को टिकाने से, अभ्यास करने से ही फिर सब समझ आने लगता है । क्यों अभ्यास इतना आवश्यक है यह पता लगने लगता है ।

नमो नम: गुरूदेव तुमको नमो नम:

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