यूँही नहीं जीवन में कुछ होता

June 18, 2018

आज एक पोस्ट पढा कि – जीवन में यूँही कुछ नहीं होता । आज यह कैसे पुष्ट हुआ ….

मैं ज़बरदस्ती अपने पतिदेव को कहा चलिए सैर करके आते हैं। मौसम गरम था ( जो कि यहां होता नहीं ) पर हवा चल रही थी । फ़ोन घर पर छोड़ गई थी । अभी घर से निकले ही थे कि प्रकृति ने किसी को मिलने भेजा ! मेरे मनमोहक हिरण । एक ही था । मेरे पतिदेव ने फ़ोन दिया कि लो ! मैं हर जगह खडे होकर फ़ोटो लेने जो लक जाती हूँ !!!

देरी हुई और वह भाग गया ।मन ही मन आया कि कल भी एक और आज भी एक ! कौन हैं आप ! हृदय जानता था पर ! यह इसलिए मन मे आया क्योंकि मुझे अकसर हिरण ३, ५ की संख्या में दिखते !

सो आगे चलते गए हम । यही सोच रही थी कि वह हिरण यूँही नहीं दिखा कि मेरे पति रुक गए और फ़ोन तैयार करके हाथ में दिया ! अब दो थे ! एक दम विडियो लिया ।

मन ने फिर पूछा – अब कौन ? तो जब उत्तर हृदय ने दिया तो हाव भाव बदलने लगे !

एक चक्कर ले लिया था । मैंने अनुरोध किया कि चलिए एक और ! वे चले गए और मैं प्रकृति का आनन्द लेती चल पडी ! मेरे वृक्ष आकाश में चाँद और सांझ का मधुर समय ।

तभी हल्की सी आहट हुई और ऊपर देखा तो तीन हिरण ! भीतर किसी ने हाथ जोड़े । वे तीनों खड़े रहे देखते रहे मैं रुकी नहीं चलती गई और वे खेलते हुए चले गए !

सो सारी अद्भुत अनुभव पर चिन्तन किया तो यूहीं नहीं इस समय ज़बरदस्ती सैर पर लेकर आए थे ! यूहीं नहीं पतिदेव आए फ़ोन जो था उनके पास! और यूँही नहीं वे तीन केवल मुझे दर्श देने आए !

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