हर सांस उनके लिए

June 20, 2018

मैं अपने कमरे में बैठे काम कर रही थी कि तालियों की उत्सव जैसी आवाज आ रही थी ।

मैं बाहर निकली और किसी से पूछा क्या हो रहा है, तो उन्हें भी पता नहीं था । मैं वापिस चले गई ।

कुछ पलों बाद फिर तालियों की आवाज हुई तो पता लगा कि मेरे निकट के कमरे के अध्यापक रिटायर हो रहे हैं और कुछ बच्चे व अध्यापक छोटा सा व्यक्तिगत कार्यक्रम उनके लिए कर रहे हैं।

वातावरण भारी था । वे बिमार थे और अब कुछ और करने की सोच रहे हैं। बच्चे अश्रुपूर्ण लेख पढ रहे थे । उनके सह कर्मचारी भी भावुक थे और वे स्वयं भी ।

वे सदा बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए पाए जाते और कहते ” हर रोज मेरा जन्म दिन है”

जिस दिन जाग जाओ मानो नया जीवन व नया जन्म ।

मैं मिली उनसे वे बोले – मैंने तो कुछ नहीं किया यह सब प्यार व सम्मान के लिए !

मुझसे कहा गया – जो आप देते हैं खासकर नेकी , वह बहुत गुना लौट कर आती है ! सो आ रही है !

यह सच है ! हम जहां हैं वहां चुप चाप अपने परमेश्वर से एक होकर उनके कार्य करते जाएं ! बस ! तब जीवन मे कभी भी आखिरी स्वास क्यों न हो हम प्यारे प्रभु से एक हुए उनको अपनी हर सांस देते हुए चाह वह आखिरी सांस ही क्यों न हो ! बात तो उनके लिए जीने में है !

उसका रहूं कृतज्ञ मैं ,मानूँ अति आभार ।

जिसने अति हित प्रेम से मुझ पर कर उपकार !

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