हर ज़र्रे ज़र्रे में

June 23, 2018

आज सुबह ही सैर पर ले गए । छुट्टी का दिन था, जरूरी नहीं सांय समय निकल पाती । मन में कोई आशा नहीं थी किसी भी चीज की , हिरण मन में भी न आया !

जबकि सैर जाने से काफ़ी देर पहले पहले किसी का मैसेज आया कि आज हिरण श्रीरामशरणम में श्रीभक्ति प्रकाश जी में आए …

फिर भी मन खाली गया ….

वापिस आ रही थी तो मन पर ध्यान गया कि आज तो न इच्छा जगी न कुछ , तो परम प्यारे मानो बोले के एक में क्यों ? मैं तो हर जगह से देखता हूँ ! हर चीज में से !

आकाश, वृक्ष, पौधे , घास … हर जगह से …

मानो अपनी बाँहें पसार कर अपने सर्वस्व को निराकार रूप में अंगीकार कर लो और पवन का स्पर्श ही उनका स्पर्श मानकर एक हो जाओ !

सच एक में ही क्यों हर जगह .. हर पल के साथी … मेरे परम प्यारे.. मेरे परम गुरू … मेरे सखा व सुहृद .. सर्वेसर्वा मेरे राम !

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