दिव्य गुरूजन

July 27, 2018

आज के पावन दिवस पर हम सब को असंख्य बधाई ।

प्रभु की करुणा हम सब के प्रति जागी और वे अनन्त कृपालु गुरूजनों का रूप धर कर आए । कौन देखता हम जैसे निम्न कोटि के लोगों को । हम पर न केवल कृपा दृष्टि डाली बल्कि अपना नाम दिया व अथाह वात्सल्य उँडेला ।

आज के पावन व माँगलिक दिवस पर पूज्य गुरूदेव के कुछ संस्मरण एक साधक जी द्वारा ….

काफ़ी वर्ष पूर्व पंजाब के किसी शहर में सत्संग आयोजित हुआ था । श्रीरामशरणम् के निर्माण के पश्चात । द्वार बंद थे । साधकों की बहुत भारी मात्रा में संगत एकत्रित थी । जैसे ही द्वार खुले , सामान्य रूप से बिल्कुल विपरीत संगत अथाह बहाव के साथ अंदर भागी !! अथाह भगदड़ । साधक जी यह सब देख कर दंग रह गए । उन्हें ज्ञात था कि पूज्य महाराजश्री को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं । हृदय की धड़कन तेज़ हो गई और वे परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे कि कृपया पूज्य महाराज़श्री का यह सब देख कर कुछ गड़बड़ न हो ! सब बैठ गए । भीड़ इतनी थी कि साधक जी सिकुड़ कर बैठे । चौंकडी की भी जगह नहीं थी ।

पूज्य गुरूदेव श्री पधारे । पूज्य महाराजश्री ने प्रणाम किया पर वे विराजे नहीं । खडे रह कर धुन आरम्भ की और सब को बहुत ही शान्त भाव से अपने हाथों को फैला कर शान्त करना आरम्भ किया ! जगह पर फिर भी न थी । तभी पूज्य गुरूदेव मंच के उस ओर आए जिस ओर साधक जी बैठे थे । साधक जी अभी भी अपनी टांगों को मोड़ कर बाज़ुओं को टांगों से बाँध कर बैठे थे । और पूज्य गुरूदेव ने बहुत ही अनूठे रूप के दर्शन दिए ! उन्होंने सहत्महारबाहु मां का रूप धरा और उन सहस्त्र बाहु में साधक जी को ले लिया ! यह रूप व दिव्य दर्शन पा कर न साधक जी को पता चला क़ि वे सत्संग में कहां व कैसे बैठे हैं !

आज के पावन दिवस पूज्य गुरूदेव का इतना सुंदर प्रसाद !

नमो नम: गुरुदेव तुमको नमो नम:

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