July 30, 2018
बाहर आई, कुछ दिनों पश्चात अपनी फुलवारी देखने को मिली थी । तो नए मेहमान आए हुए थे ! और नई जगह पर ! खुम्ब !! 😀
उनको देखकर लगा कि कैसे हम प्रकृति के बदलाव सहर्ष स्वीकार करते हैं, आनन्द लेते हैं।
किन्तु लोगों के बदलाव नहीं !
उत्तर मिला कि लोगों के प्रति अपेक्षा कहीं न कहीं बैठी होती है! चाहे उन से दूर दूर तक संबंध भी न हो या फिर घनिष्ठ संबंध हो !
तभी महाराज़श्री ने एक साधक की यात्रा में सबसे पहले अपेक्षा से निवृत्ति रखा है। वह ताड़का वध सबसे पहले किया !
काश हम भी जैसे प्रकृति के बदलते हुए रंग कैसे बिन प्रश्न के स्वीकार करते हैं वैसे ही मानवी रंग भी स्वाकारें !
पर यह सम्भव है – केवल राम से संयुक्त होने से !
पर आज इन चार खुम्बों का आनन्द लीजिए !!! 😍
चौथा नीचे छिपा हुआ है! 😍